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Zubeen Garg Death: 10, 20 या 30 मीटर पानी में कितनी गहराई तक जाते हैं स्कूबा डाइवर्स, जानिए कितना खतरनाक है ये खेल

निधि पाल   |  19 Sep 2025 04:50 PM (IST)
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भारतीय समुद्र तटों पर स्कूबा डाइविंग अब तेजी से लोकप्रिय हो रही है, खासकर अंडमान-निकोबार, गोवा और कर्नाटक के तटों पर. यहां प्रोफेशनल इंस्ट्रक्टर्स और सेफ्टी गाइडलाइन्स मौजूद हैं.

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दुनिया के कई देशों में भी स्कूबा डाइविंग टूरिज्म इंडस्ट्री का बड़ा हिस्सा है और लाखों लोग हर साल इसमें हिस्सा लेते हैं. हालांकि, कुछ सावधानियां न बरती जाएं तो यह शौक जानलेवा साबित हो सकता है.

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स्कूबा डाइविंग की गहराई डाइवर के ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन पर निर्भर करती है. शुरुआती स्तर पर PADI स्कूबा डाइवर्स केवल 12 मीटर यानी 40 फीट तक जा सकते हैं, जबकि PADI ओपन वॉटर डाइवर्स 18 मीटर (60 फीट) तक डाइविंग कर सकते हैं.

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एडवांस्ड ओपन वॉटर डाइवर्स को 30 मीटर (100 फीट) की सीमा तक सुरक्षित गोता लगाने की अनुमति होती है. सामान्य मनोरंजक डाइविंग के लिए यही अधिकतम सीमा मानी जाती है. वहीं, तकनीकी गोताखोर विशेष प्रशिक्षण और उपकरणों के साथ 40 मीटर से भी ज्यादा गहराई तक जा सकते हैं.

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सावधानी और सुरक्षा की बात करें तो स्कूबा डाइविंग में सबसे बड़ा खतरा शरीर पर अचानक दबाव बदलने से होता है. जैसे-जैसे डाइवर गहराई में उतरता है, पानी का प्रेशर बढ़ता जाता है. अगर डाइवर बहुत तेजी से ऊपर आ जाए तो डीकंप्रेशन सिकनेस हो सकती है.

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इस दौरान ब्लड स्ट्रीम में बबल्स बनने लगते हैं. यह स्थिति स्ट्रोक, हार्ट अटैक या पैरालिसिस तक का कारण बन सकती है. इसके अलावा ऑक्सीजन टॉक्सिसिटी और नाइट्रोजन नारकोसिस भी बड़ी चुनौतियां हैं.

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जिनका सामना गहरे समुद्र में डाइविंग करते वक्त हो सकता है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि हर साल हजारों मामलों में डाइवर्स चोटिल होते हैं और कुछ मामलों में मौत भी दर्ज की जाती है. खासतौर पर नए डाइवर्स, जिन्हें अनुभव नहीं होता, उनके लिए यह रिस्क दोगुना हो जाता है.

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इसके अलावा, तकनीकी खराबी जैसे ऑक्सीजन टैंक का फेल होना या रेगुलेटर में दिक्कत आना भी डाइविंग को जानलेवा बना सकता है. समुद्र के अंदर खतरनाक जीव-जंतु जैसे शार्क, जेलीफिश या जहरीले कोरल भी रिस्क बढ़ा देते हैं.

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स्कूबा डाइविंग से पहले कुछ जरूरी सावधानियां बरतना बेहद जरूरी होता है. डाइविंग हमेशा किसी प्रमाणित ट्रेनर या इंस्ट्रक्टर की निगरानी में करनी चाहिए. मेडिकल चेकअप जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि डाइवर को अस्थमा, हृदय रोग या कान की समस्या जैसी कोई हेल्थ कंडीशन नहीं है.

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डाइविंग के दौरान धीरे-धीरे ऊपर आना, सेफ्टी स्टॉप करना और सही ब्रीदिंग पैटर्न फॉलो करना बेहद जरूरी है. साथ ही, पर्याप्त नींद लेना और शराब या दवाइयों के असर से बचकर ही डाइविंग करना चाहिए.

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