एक से ज्यादा पत्नी और बच्चों में कैसे होता है पिता की संपत्ति का बंटवारा, जानें क्या है उत्तराधिकार कानून का नियम
इंडियन इनहेरिटेंस लॉ यानी उत्तराधिकार कानून में बताया गया है कि पिता के निधन के बाद प्रॉपर्टी किसे और कितने परसेंट में मिलेगी. यह रूल्स इसीलिए बनाए गए हैं ताकि किसी मेंबर के अधिकार उससे छिने नहीं. पत्नी और बच्चों के लिए कानून साफ है.
अगर पिता की एक से ज्यादा पत्नियां रही हों तो हर पत्नी को लीगल इनहेरिटेंस का अधिकार मिलता है. मतलब कि बंटवारे के टाइम सबकी हिस्सेदारी गिनी जाती है और बराबरी से उन्हें हक दिया जाता है. यह प्रोसेस उसकी गारंटी है कि किसी के साथ अन्याय न हो.
बच्चों के अधिकार भी बराबर होते हैं. चाहे पहली पत्नी से हों या दूसरी से, सभी को बराबर हिस्सेदारी मिलती है. उनका हिस्सा टोटल प्रॉपर्टी की वैल्यू और बच्चों की संख्या पर डिपेंड करती है. इस कानून का मकसद यही है कि किसी के साथ भेदभाव न हो और हर संतान को उसका हक मिले.
अगर पिता ने अपने जीते वसीयत बनाई है और उसमें सबकों अपनी मर्जी से हिस्सा दिया है. तो उसी हिसाब से बंटवारा होगा. लेकिन अगर वसीयत नहीं बनी है. तो कानून की बेसिक गाइडलाइन लागू की जाती है. यही वजह है कि लीगल एक्सपर्ट्स हमेशा वसीयत बनाने की सलाह देते हैं.
प्रॉपर्टी का टाइप भी बंटवारे को अफेक्ट करता है. जमीन और घर जैसी इम्मूवेबल प्रॉपर्टी का प्रोसेस अलग होता है, जबकि बैंक बैलेंस, कैश और इन्वेस्टमेंट जैसी मूवेबल असेट्स के लिए अलग तरह के नियम अप्लाई होते हैं. इससे हर वारिस को उसकी सही हिस्सेदारी मिलती है.
यानी देखा जाए तो उत्तराधिकार कानून हर फैमिली मेंबर के अधिकार की रक्षा करता है. चाहे पिता की एक से ज्यादा पत्नी हों या बच्चों की संख्या ज्यादा हो. सभी को बराबर हक मिलता है. इसलिए अगर ऐसा कोई मामला आता है तो कानून को सही से समझना जरूरी है.