Unlucky Number: दुनियाभर में फैली हुई है '13' नंबर की मिस्ट्री, इसे इतना अशुभ क्यों माना जाता है?
ईसाई धर्म में 13 नंबर को अशुभ मानने की सबसे पुरानी जड़ों में से एक है अंतिम भोज. मेज पर 13 लोग थे, ईसा मसीह और उनके 12 प्रेषित. 13वें स्थान पर बैठे यहूदा इस्करियोती ने यीशु के साथ विश्वासघात किया था, जिस वजह से उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया.
नॉर्स पौराणिक कथाओं के अनुसार 12 देवता एक बार वल्लाह में एक भोज के लिए इकट्ठा हुए थे. लेकिन छली देवता लोकी बिन बुलाए 13वें मेहमान के रूप में वहां पहुंच गए थे. उनके आने के तुरंत बाद उनके प्रिय देवता बाल्डर की मृत्यु हो गई थी.
कई प्राचीन सभ्यता 12 को पूर्णता और व्यवस्था के रूप में मानती थी. जैसे 12 महीने, 12 राशियां और दिन-रात के 12 घंटे होते हैं. इस पूर्ण अंक के ठीक बाद में आने वाले अंक 13 को अपूर्ण अंक माना जाता था.
शुक्रवार और अंक 13 के संयोग ने इस अंधविश्वास को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है. यह दिन दुनिया भर में एक खतरे का दिन बन चुका है. इस दिन को अक्सर दुर्घटनाएं और अपशकुनों से जोड़ा जाता है.
इसी के साथ शुक्रवार 13 अक्टूबर 1307 को फ्रांस के राजा फिलिप चतुर्थ ने एक शक्तिशाली ईसाई सैन्य दल नाइट्स टेम्पलर की गिरफ्तारी और उन पर यातना का आदेश दिया था. इस सामूहिक उत्पीड़न की वजह से इस दिन को इतिहास के एक काले दिन के रूप में चिन्हित किया गया.
ज्योतिष और अंक शास्त्र में भी अंक 13 को काफी ज्यादा अस्थिर माना जाता था. जिस तरफ 12 नंबर ब्रह्मांड या व्यवस्था का प्रतीक था वहीं 13 नंबर को विद्रोह और परिवर्तन का प्रतीक माना जाता था.