बिहार के इस नाऊ ने दिया था दुनिया को बालों के लिए 'शैंपू' का आइडिया, ये कहानी नहीं जानते होंगे आप
साल था 1759, भारत अंग्रेजी हुकूमत के दौर से गुजर रहा था. पटना के एक साधारण नाई परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ था, जिसका नाम था शेख दीन मोहम्मद. बचपन से ही उन्हें बालों की मालिश और देखभाल का शौक था.
वह अक्सर अपने पिता को ग्राहकों के बालों की चंपी करते देखते और सोचते कि क्या सिर्फ तेल से ही बालों की देखभाल पूरी हो जाती है? इसी सवाल ने उन्हें आगे चलकर एक ऐसी खोज करने के लिए प्रेरित किया, जिसने पूरी दुनिया के बालों की कहानी बदल दी.
युवा होने पर उन्होंने जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक तत्वों के साथ प्रयोग शुरू किए. उन्होंने देखा कि भारतीय परंपराओं में नीम, रीठा, शिकाकाई, तुलसी और कई अन्य औषधीय पौधे बालों के लिए बेहद फायदेमंद हैं. धीरे-धीरे उन्होंने इन्हीं सामग्रियों से एक विशेष हर्बल मिश्रण तैयार किया.
जब इस मिश्रण को सिर पर लगाया गया और गर्म पानी से धोया गया, तो बाल पहले से कहीं ज्यादा मुलायम और चमकदार नजर आए. यही आधुनिक ‘शैंपू’ का शुरुआती रूप था.
शेख दीन मोहम्मद ने सिर्फ प्रयोग नहीं किया, बल्कि उसे विज्ञान और व्यवसाय में भी बदला. 1780 के दशक में वह ब्रिटिश आर्मी ऑफिसर कैप्टन बेकर के साथ इंग्लैंड चले गए. वहां उन्होंने लोगों को भारतीय चंपी तकनीक से परिचित कराया.
उन्होंने बताया कि कैसे भारतीय पारंपरिक सिर की मालिश और जड़ी-बूटियों का मेल शरीर और दिमाग, दोनों के लिए फायदेमंद है. इंग्लैंड में इस चंपी तकनीक को लोगों ने हाथों-हाथ लिया. धीरे-धीरे उन्होंने इसे नया नाम दिया, शैंपू बाथ.
इसके बाद शेख दीन मोहम्मद ने ब्राइटन में 1814 में एक स्पा सेंटर खोला, जहां वे इंडियन मेडिकेटेड वेपोर बाथ देते थे. यह उस समय के यूरोप में बेहद चर्चित हुआ. इंग्लैंड की महारानी तक उनके क्लाइंट्स में शामिल थीं. उन्होंने भारतीय हर्बल फॉर्मूला और मसाज तकनीक को यूरोप में फैला दिया.