थ्री स्टार, फाइव स्टार और टेन स्टार...होटलों को कैसे और कौन देता है ये दर्जा, जान लीजिए जवाब
आज हम आपको ये बताएंगे कि होटलों को जो 4 और 5 स्टार का दर्जा दिया जाता है, ये कौन देता है. जानिए इसके पीछे की वजह क्या होती है.
बता दें कि आज के वक्त बहुत सारे होटल खुद से ही अपनी रेटिंग तय करने का क्लेम कर लेते हैं. लेकिन असल में किसी होटल को ये रेटिंग सरकारी संस्था देती है.
पर्यटन मंत्रालय के अधीन एक कमेटी है, जो होटल को रेटिंग देने का काम करती है. इस कमेटी का नाम होटल एंड रेस्टोरेंट अप्रूवल एंड क्लासिफेक्शन कमेटी है. ये कमेटी ही होटलों को रेट करने का काम करती है.
बता दें कि इस सरकारी कमेटी के भी दो हिस्से होते हैं. इसमें एक विंग एक से तीन स्टार और दूसरी विंग चार और पांच स्टार रेटिंग के मामले को देखती है.
किसी होटल को कौन सी रेटिंग देनी है, इसके लिए कमेटी कुछ पैरामीटर्स बनाई है. जिसके आधार पर रेटिंग देती है. इसके लिए होटल को अप्लाई करना होता है. जिसके बाद कमेटी की एक टीम होटल का दौरा करती है. वहां की सर्विस, सफाई, होटल के कमरे, उनकी साइज और अन्य एसेसरीज की जांच करती है.
बता दें कि रेटिंग पर चर्चा करते समय रूम, बाथरूम की साइज, एसी की डिटेल, पब्लिक एरिया, लॉबी, रेस्टोरेंट, बार, शॉपिंग, कॉन्फ्रेंस हॉल, बिजनेस सेंटर, हेल्थ क्लब, स्विमिंग पूल, पार्किंग, दिव्यांग लोगों के लिए खास सर्विस, फायर फाइटिंग मेजर्स, सिक्योरिटी आदि को ध्यान में रखा जाता है.
होटल की रेटिंग की दो कैटगेरी होती है, जिसमें स्टार कैटेगरी और हेरिटेज कैटेगरी शामिल है. स्टार कैटेगरी में होटलों को 5 स्टार डिलक्स, 5 स्टार, 4 स्टार, 3 स्टार, 2 स्टार और 1 स्टार रेटिंग दी जाती है. वहीं हेरिटेज कैटेगरी में हेरिटेज ग्रांड, हेरिटेज क्लासिक, हेरिटेज बेसिक आदि की रेटिंग दी जाती है.