इन देशों के पास हैं दुनिया की सबसे खतरनाक पनडुब्बियां, समंदर की गहराई में मचा देती हैं आतंक
न्यूक्लियर-प्रेरित दौर में पनडुब्बियां केवल समुद्री युद्ध का हिस्सा नहीं रहीं; वे अब परमाणु तिकड़ी का बेहद संवेदनशील और निर्णायक हिस्सा बन चुकी हैं.
पानी के भीतर छिपी रहने की क्षमता, लंबी अवधि की पेट्रोलिंग और इंटरकॉन्टिनेंटल श्रेणी की बैलिस्टिक मिसाइलों का समावेश, इन्हीं कारणों से कुछ सबसी प्रभावशाली और खतरनाक SSBN (बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी) दुनिया भर में सबसे ज्यादा बेहतरीन मानी जाती हैं.
अमेरिका की ओहायो-क्लास का नाम इस सूची में सबसे ऊपर आता है. ये विशाल SSBNs Trident II D5 बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस हैं और अमेरिकी रणनीतिक परमाणु भंडार का एक बड़ा हिस्सा इन्हीं पर रहता है. ओहायो वर्ग की विश्वसनीयता और क्षमता ने इन्हें दशकों से अमेरिका का मुख्य समुद्री परमाणु स्तम्भ बना दिया है.
रूस ने भी आधुनिक बोरी-क्लास से अपनी शक्ति को नया आयाम दिया है. बोरी-क्लास को पुराने टाइफून और डेल्टा वर्ग की जगह लेने के लिए डिजाइन किया गया है. लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों तक की क्षमता इन्हें खतरनाक बनाती है. रूस की समुद्री शक्ति में यह क्लास एक नया चेहरा है.
ब्रिटेन और फ्रांस भी छोटे पर केंद्रित तथा बहुत शक्तिशाली SSBN रखे हुए हैं. ब्रिटेन की वैनगार्ड-क्लास और फ्रांस के ट्रायोम्प्हान्त-क्लास पनडुब्बियां, प्रत्येक में 16 के आस-पास स्ट्रेटजिक मिसाइल ट्यूब होते हुए, अपने-अपने राष्ट्रों की ऑल-द-वे परमाणु प्रतिक्रिया क्षमता सुनिश्चित करती हैं. इन छोटे बेड़ों की ताकत उनकी परिष्कृत टेक्नोलॉजी और निरंतर ड्यूटी पर निर्भर करती है.
चीनी जिन/टाइप-094 क्लास ने भी दक्षिण-पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र में चीन के समुद्री पृथक-क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ाया है. हाल के वर्षों में टाइप-094 की संख्या और उसकी मिसाइल रेंज में सुधार ने इसे क्षेत्रीय रणनीति में बड़ा कारक बना दिया है.
भारत ने भी अरिहंत-सीरीज के साथ पनडुब्बी-आधारित परमाणु क्षमताओं का विकास किया है. स्वदेशी अरिहंत क्लास ने भारत को समुद्र में लगातार घातक बने रहने का का विश्वास दिया है.