इंसानी आंखों को चकमा देने में माहिर है ये सांप, काटा तो पानी भी नहीं होगा नसीब
मालाबार पिट वाइपर की सबसे बड़ी खासियत इसकी रंग बदलने की क्षमता है. यह सांप अपने आसपास के माहौल के हिसाब से खुद को ढाल लेता है. कभी यह बादामी भूरा दिखता है, तो कभी पीला, हरा या हल्का नीला भी नजर आ सकता है.
यही वजह है कि जंगल में चलते समय लोग अक्सर इसे पहचान नहीं पाते और अनजाने में इसके बेहद करीब पहुंच जाते हैं. यही पल सबसे खतरनाक साबित होता है.
यह सांप आमतौर पर निशाचर होता है, यानी रात के अंधेरे में ज्यादा सक्रिय रहता है. अंधेरे और अपने छलावरण की वजह से यह बिना नजर आए शिकार के बेहद पास पहुंच जाता है. छोटे स्तनधारी, पक्षी, छिपकली और मेंढक इसके भोजन का हिस्सा हैं, लेकिन इंसान भी गलती से इसकी जद में आ सकता है.
खासकर जंगलों, पहाड़ी रास्तों और बागानों में काम करने वाले लोग इसके खतरे से ज्यादा प्रभावित होते हैं. लंबे समय तक यह माना जाता रहा कि मालाबार पिट वाइपर का काटना गंभीर मेडिकल इमरजेंसी नहीं है.
लेकिन कर्नाटक के मणिपाल स्थित कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज में हुए शोध ने इस धारणा को बदल दिया है. वैज्ञानिकों के अनुसार इसका जहर हेमोटॉक्सिक होता है, यानी यह खून पर सीधा असर करता है. इसके डसने से शरीर में तेज सूजन, खून के थक्के बनने की प्रक्रिया में गड़बड़ी और किडनी से जुड़ी गंभीर समस्याएं सामने आ सकती हैं.
दिखने में आकर्षक होने के कारण कई लोग इसे हल्के में ले लेते हैं, लेकिन यही सबसे बड़ी भूल हो सकती है. डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का साफ कहना है कि इस सांप के काटने को किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
समय पर इलाज न मिलने पर हालात तेजी से बिगड़ सकते हैं, यहां तक कि जान पर भी बन आ सकती है. मालाबार पिट वाइपर मुख्य रूप से पश्चिमी घाट के जंगलों में पाया जाता है, खासकर कर्नाटक और केरल के इलाकों में.
मादा सांप आमतौर पर चार से पांच बच्चों को जन्म देती है. अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने इसे फिलहाल ‘लेस्ट कंसर्न’ श्रेणी में रखा है, लेकिन अवैध शिकार और जंगलों के सिमटते दायरे इसके भविष्य के लिए खतरा बनते जा रहे हैं.