Cheese Loan: इस बैंक में किसानों को लोन देने के लिए Cheese की लगती है गारंटी, जानें कैसे शुरू हुई यह व्यवस्था?
यह सिस्टम क्रेडितो एमिलियानो में काम करता है. इसे आमतौर पर क्रेडम के नाम से जाना जाता है. यह एक जाना माना इटैलियन बैंक है. जमीन के कागजात या फिर मशीनरी मांगने के बजाय यह बैंक कोलैटरल के तौर पर परमेसन रेगियानो चीज का एक बड़ा पहिया मांगता है.
दरअसल यह कोई आम चीज नहीं होता. यह एक हाई वैल्यू प्रोडक्ट है जिसमें सख्त क्वालिटी कंट्रोल और गारंटीड मार्केट है. इसकी लंबी शेल्फ लाइफ, स्थिर मांग और अनुमानित कीमत में बढ़ोतरी इसे एक सुरक्षित एसेट बना देती है.
यह आइडिया 1953 में पेश किया गया था. दरअसल किसानों को चीज को लंबे समय तक पकने की प्रक्रिया के दौरान कैश फ्लो में दिक्कत होती थी. आपको बता दें कि इस चीज को पकने में 18 से 36 महीने लगते हैं. इस अवधि के दौरान प्रोड्यूसर्स के पास कोई भी इनकम नहीं होती थी. बैंक ने इसी गैप को भरने के लिए कदम उठाते हुए इस बड़े फैसले को लिया था.
किसान कच्चे या फिर अधपके चीज के पहिए को बैंक में जमा कर देते हैं और चीज की अनुमानित भविष्य की मार्केट वैल्यू का 70 से 80% लोन के रूप में प्राप्त करते हैं.
चीज को बैंक के खास क्लाइमेट कंट्रोल गोदाम में स्टोर किया जाता है, जिस चीज वॉल्ट कहा जाता है. यह सुविधा काफी ठीक तापमान और नमी को बनाए रखती हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके की चीज ठीक से पके. रोजाना पहियों का निरीक्षण भी किया जाता है ताकि प्रोडक्ट की क्वालिटी और लोन की सुरक्षा दोनों बनी रहे.
अगर कोई कर्जदार लोन चुकाने में विफल रहता है तो बैंक बस पूरी तरह से पकी हुई चीज को बाजार में बेच देता है. दरअसल चीज की कीमत उम्र के साथ बढ़ती है इस वजह से बैंक अक्सर अपना पैसा आसानी से वसूल लेता है.