150 रुपये वाली बीयर की बोतल पर कितना लगता है टैक्स, जानें किसका कितना हिस्सा?
दुकान के काउंटर पर रखी 150 रुपये की बीयर देखने में भले ही सामान्य लगे, लेकिन इसकी कीमत के पीछे एक जटिल टैक्स ढांचा काम करता है.
भारत में शराब को जीएसटी से बाहर रखा गया है, यानी केंद्र सरकार का इसमें सीधा टैक्स नहीं लगता है. इसका पूरा नियंत्रण राज्यों के हाथ में है और यही वजह है कि एक ही ब्रांड की बीयर अलग-अलग राज्यों में अलग कीमत पर मिलती है.
बीयर पर सबसे बड़ा हिस्सा राज्य सरकार का होता है. इसमें आबकारी शुल्क, वैट और कई जगह अतिरिक्त सेस भी जोड़ा जाता है. कई राज्यों में यह टैक्स कुल कीमत का 50 प्रतिशत से ज्यादा बैठता है.
उदाहरण के तौर पर कर्नाटक जैसे राज्यों में बीयर पर टैक्स 52 प्रतिशत से ऊपर तक पहुंच चुका है. महाराष्ट्र में भी बीते वर्षों में आबकारी ड्यूटी बढ़ाई गई, जिससे बीयर के दाम सीधे उपभोक्ता की जेब पर भारी पड़े.
अगर किसी राज्य में बीयर की MRP 150 रुपये है और वहां कुल टैक्स करीब 50 प्रतिशत है, तो लगभग 75 रुपये सीधे टैक्स के रूप में सरकार के खाते में चले जाते हैं.
बची हुई रकम में बीयर बनाने की लागत, बोतल, पैकेजिंग, ट्रांसपोर्ट, डिस्ट्रीब्यूटर और दुकान वाले का मार्जिन शामिल होता है. यानी आप जिस बीयर को पीते हैं, उसकी असली कीमत अक्सर 60 से 70 रुपये के बीच ही होती है.
शराब को जीएसटी से बाहर रखने की सबसे बड़ी वजह राज्यों का राजस्व है. शराब से मिलने वाला पैसा राज्यों के लिए कमाई का बड़ा जरिया है. अगर इसे जीएसटी में लाया गया, तो टैक्स का बंटवारा बदल जाएगा, जिसे कई राज्य स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं.