Black Hole: अंतरिक्ष में कैसे बनते हैं ब्लैक होल? प्रक्रिया सुनकर चौंक जाएंगे आप
ब्लैक होल हमारे सूरज जैसे सामान्य तारों से नहीं बनते हैं. ये सिर्फ काफी बड़े तारों से पैदा होते हैं. ये आमतौर पर सूरज से कम से कम 10 से 20 गुना ज्यादा भारी होते हैं. आपको बता दें कि यह तारे अपने न्यूक्लियर ईंधन को काफी तेजी से जलाते हैं. जब सारा ईंधन खत्म हो जाता है तो तारा अपने जीवन के अंत तक पहुंच जाता है.
एक तारे के पूरे जीवन में उसके अंदर लगातार कुछ ना कुछ चलता रहता है. कोर में न्यूक्लियर फ्यूजन बाहर की तरफ दबाव बनाता है और गुरुत्वाकर्षण हर चीज को अंदर की तरफ खींचने की कोशिश करता है. जब तक ईंधन रहता है यह संतुलन तारे को स्थिर रखता है. जैसे ही ईंधन खत्म हो जाता है तो बाहर का दबाव लगभग तुरंत खत्म हो जाता है. फिर गुरुत्वाकर्षण पूरी तरह से नियंत्रण ले लेता है और तारे को ना रुकने वाली ताकत से अंदर की तरफ कुचल देता है.
जब गुरुत्वाकर्षण तारे पर हावी हो जाता है तो कोर एक सेकंड के कुछ हिस्सों में ढह जाता है. इसके बाद सुपरनोवा विस्फोट ट्रिगर होता है. कुछ समय के लिए मरता हुआ तारा पूरी गैलेक्सी से भी ज्यादा चमकदार चमक सकता है.
सुपरनोवा के बाद यह कोर के बचे हुए मास पर निर्भर करता है कि आगे क्या होगा. अगर कोर काफी ज्यादा भारी है तो न्यूट्रॉन दबाव भी इसके पतन को नहीं रोक सकता. कोर लगातार सिकुड़ता जाता है.
ढहता हुआ कोर आखिरकार एक सिंगुलैरिटी बन जाता है. एक ऐसा बिंदु जिसकी डेंसिटी अनंत और वॉल्यूम जीरो होता है. यह एक ब्लैक होल का असली दिल होता है. मूल तारे का सारा मास इस छोटे से बिंदु में समा जाता है.
सिंगुलेरिटी के चारों तरफ इवेंट होराइजन बनता है. यह ब्लैक होल की अदृश्य सीमा है. एक बार जब भी कोई चीज इस बाउंड्री को पार कर जाती है तो वह कभी बाहर नहीं निकल सकती. फिर चाहे वह कोई पदार्थ हो, ऊर्जा हो या फिर रोशनी हो.