Bollywood: सोशल मीडिया आने से पहले भी बॉलीवुड ने झेला बायकॉट, इन आठ फिल्मों का हुआ था विरोध
माना जाता है कि नील आकाशेर नीचे देश की पहली ऐसी फिल्म थी, जिस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बैन लगाया था. दरअसल, इस फिल्म में दिखाया गया था कि नेता किस तरह अपनी ताकत का गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं. तीन महीने तक विवाद के बाद यह फिल्म 1958 में रिलीज हुई थी.
अमृत नहाटा की फिल्म किस्सा कुर्सी का में राज किरण, सुरेखा सीकरी, मनोहर सिंह और शबाना आजमी ने अहम भूमिकाएं निभाई थीं. कहा जाता है कि इस फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर कटाक्ष किया गया था, जिसके चलते संजय गांधी ने यह फिल्म रिलीज नहीं होने दी. इसके लिए संजय को सजा भी हुई थी.
बलराज साहनी की फिल्म गरम हवा को भी बायकॉट का शिकार होना पड़ा. दरअसल, फिल्म का विरोध शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने किया था. उन्होंने सिनेमा हॉल फूंकने की धमकी दे दी थी. हालांकि, कुछ समय बाद फिल्म रिलीज हुई थी.
गुलजार निर्देशित फिल्म आंधी के बारे में अफवाह थी कि इसमें इंदिरा गांधी की जिंदगी की कहानी है. ऐसे में रिलीज होने के बाद इस फिल्म को बैन कर दिया गया. हालांकि, एडिटिंग के बाद यह फिल्म दोबारा रिलीज हुई थी.
मनोज कुमार द्वारा डायरेक्ट की गई फिल्म कलयुग और रामायण का नाम पहले कलयुग की रामायण था, जो लोगों को पसंद नहीं आया. जब फिल्म के बायकॉट की मांग उठी, तब नाम में बदलाव किया गया.
बोल्डनेस भले ही आज फिल्मों का हिस्सा बन चुकी है, लेकिन किसी जमाने में इसी बोल्डनेस की वजह से सत्यम शिवम सुंदरम को बायकॉट का शिकार होना पड़ा. इस फिल्म की वजह से राज कपूर पर अश्लीलता फैलाने का आरोप लगा था.
एन ईवनिंग इन पेरिस पहली ऐसी फिल्म थी, जिसमें किसी अभिनेत्री ने बिकिनी पहनी थी. ऐसे में फिल्म का भरपूर विरोध हुआ, लेकिन तमाम प्रदर्शन के बावजूद इस फिल्म को रिलीज कर दिया गया था.
फायर पहली ऐसी हिंदी फिल्म थी, जिसमें समलैंगिक संबंधों को दिखाया गया था. दीपा मेहता की इस फिल्म में शबाना आजमी और नंदिता दास ने अहम भूमिकाएं निभाई थीं. इस फिल्म का काफी ज्यादा विरोध हुआ था.