Mangalsutra: नई दुल्हन के लिए मंगलसूत्र पहनने के क्या नियम होते हैं?
सिंदूर की तरह ही हिंदू धर्म में मंगलसूत्र को भी विवाहित महिला से लिए सुहाग का प्रतीक माना जाता है. इसलिए हर सुहागन महिला को गले में मंगलसूत्र जरूर पहनना चाहिए. शास्त्रों में मंगलसूत्र का संबंध माता पार्वती और शिव से बताया गया है.
विवाह के तुरंत बाद या शादी के दिन दूल्हा दुल्हन के गले में मंगलसूत्र पहनाता है और इसके बाद से ही वैवाहिक जीवन की शुरुआत हो जाती है. सौभाग्य से जुड़े इस प्रतीक को पहनने के कुछ नियम होते हैं, जिसका पालन हर नई-नवेली दुल्हन को करना चाहिए.
चर्चित हनीमून मर्डर मिस्ट्री सोनम-राजा का केस इनदिनों चर्चा में है. खबरों के मुताबिक सोनम के पर्स से मंगलसूत्र मिला है. शादी को एक महीने भी नहीं हुए थे और सोनम ने गले से मंगलसूत्र उतार दिया, जिसके बाद सोनम सवालों और शक के घेरे में आ गई. जानिए आखिर नई दुल्हन के लिए मंगलसूत्र पहनने के क्या नियम हैं.
परंपरागत रूप से हर सुहागिन महिला को गले में हमेशा ही मंगलसूत्र को धारण करना चाहिए. खासकर नई दुल्हन को तो शुरुआती एक वर्ष तक मंगलसूत्र को गले से उतारना भी नहीं चाहिए, ऐसा करना अशुभ माना जाता है.
कहा जात है कि, यदि नई नवेली दुल्हन को किसी कारण मंगलसूत्र उतारना भी पड़े तो ऐसा पति की जानकारी या उपस्थिति में ही करना उचित होगा. अन्यथा नई दुल्हन को बिल्कुल भी गले से मंगलसूत्र नहीं उतारना चाहिए.
मंगलसूत्र का महत्व: मंगलसूत्र के नौ मनके मां दूर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं. साथ ही इन मनके को पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि का प्रतीक माना गया है. मंगलसूत्र सोने का होता है, जिसका संबंध गुरु से होता है. वहीं मंगलसूत्र के काले मोती से पति और दांपत्य जीवन को बुरी नजर नहीं लगती.