Lohri 2024: लोहड़ी के पर्व से जुड़े 5 रोचक तथ्य, जानें लोहड़ी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
लोहड़ी को पहले तिलोड़ी के नाम से जाना जाता था. यह शब्द तिल और रोड़ी (गुड़ की रोड़ी) से बना है. तिलोड़ी समय के साथ बदलते हुए लोहड़ी बन गया और इसी नाम से प्रसिद्ध हो गया. पंजाब के इस मुख्य पर्व आज भी कई इलाको में इसे लोई कहा जाता है.
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View In Appलोहड़ी का पर्व हर साल बसंत के आगमन के समय मनाया जाता है. षौष महीने के आखिरी दिन लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है. इसके अगले दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है और मकर संक्रांति मनाई जाती है. जिसके साथ माघ माह की शुरुआत हो जाती है.
लोहड़ी के दिन संध्या के समय अग्नि जलाई जाती है और परिक्रमा की जाती है और अग्नि के चारों ओर चक्कर काटे जाते हैं और नाच-गाकर जश्न मनाकर इस पर्व को मनाया जाता है. अग्नि में तिल, गुड़, रेवड़ी, मूंगफली को डाला जाता है.
लोहड़ी का पर्व खास महत्व रखता है जब आपके घर में नई शादी हुई हो या किसी बच्चे का जन्म हुआ हो. पंजाबी और सिख समूदाय में शादी के बाद पहली लोहड़ी और नवजात शिशू की पहली लोहड़ी बहुत धूम-धाम से मनाई जाती है.
लोहड़ी का संबंध खेत और फसल से है. इस दिन नए फसल खेतों में लगाई जाती है. लोहड़ी का पर्व फसल की बुआई और कटाई से जुड़ा है.
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