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Kanwar Yatra 2024: कांवड़ यात्रा में किन गलतियों को करने से नाराज होते हैं भोलेबाबा

एबीपी लाइव   |  10 Jul 2024 04:11 PM (IST)
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सावन का महीना 22 जुलाई 2024 से शुरू हो रहा है. सावन शुरू होते ही शिवभक्त कांवड़ यात्रा के लिए निकल पड़ते हैं. कांवड़ यात्रा करने वालों को कांवड़िया कहा जाता है. कावड़ यात्रा के दौरान भक्त गंगाजल भरकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं.

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नदी से जल उठाने और शिवालय तक जाने की इस यात्रा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है. हालांकि कांवड़ यात्रा भी 4 तरह की होती है. इसमें सामान्य, डाक, खड़ी और दांड़ी कांवड़ यात्रा होती है. कांवड़ यात्रा करने वाले कांवड़ियों से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं.

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लेकिन शास्त्रों में कांवड़ यात्रा से संबंधित कुछ नियम बताए गए हैं. इसलिए हर कांवड़िये को यात्रा के दौरान इन नियमों का पालन करना चाहिए. नियमों की अनदेखी करने पर शिव नाराज हो सकते हैं. आइये जानें क्या है कांवड़ यात्रा के नियम (Kanwar Yatra ke Niaym).

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कांवड़ यात्रा के लिए गंगा या फिर किसी पवित्र नदी का जल ही कांवड़ में भरा जाता है. कांवड़ में कुंआ या तालाब का जल नहीं भरना चाहिए. साथ ही कांवड़ को स्नान के बाद ही स्पर्श करना चाहिए.

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कांवड़ यात्रा में कांवड़ियों को पैदल यात्रा करनी चाहिए. साथ ही यात्रा के दौरान सात्विक भोजन ही करना चाहिए. इसलिए इस समय नशा, मांस-मदिरा और तामसिक भोजन से दूर रहें.

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अगर आप यात्रा के दौरान कहीं रुकते हैं या विश्राम करते हैं तो कांवड़ को भूलकर भी जमीन या चबुतरे पर न रखें. ऐसा करने से आपकी यात्रा अधूरी मानी जाती है. कांवड़ को हमेशा जमीन से ऊपर किसी स्टैंड या डाली पर लटका कर रखें. कांवड़िये हमेशा जत्थे के साथ रहें.

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कांवड़ यात्रा साफ मन से करें. इस समय मन में क्रोध की भावना न रखें, किसी वाद-विवाद में न उलझें और वाणी पर संयम रखें, तभी भगवान शिव की कृपा प्राप्त होगी. कांवड़ियों को पूरी यात्रा के दौरान बम-बम भोले का उच्चारण करना चाहिए.

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