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Prashant Kishor: प्रशांत किशोर के पास है बिहार को बदलने का फॉर्मूला! खुले मंच से कर दिया ऐलान

एबीपी लाइव डेस्क   |  09 Jul 2024 07:53 AM (IST)
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चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर (पीके) ने बिहार और उसकी गरीबी की समस्या को लेकर चिंता जाहिर की है. पीके का मानना है कि बिहार को गरीबी से निकालने के रास्ते फिलहाल बंद हैं. इन्हें खोलने पर ही सूबे को गुर्बत से उबारा जा सकता है.

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जन सुराज के संस्थापक के मुताबिक, गरीबी से निकलने का पहला रास्ता पढ़ाई है. गरीब का बच्चा पढ़ने गया पर वह वहां से खिचड़ी खाकर आता है. चुनावी चाणक्य बोले, आपमें से कुछ पैसे वाले हैं, जो बच्चों को प्राइवेट स्कूल, कोचिंग और ट्यूशन में पढ़ा रहे हैं. फिर भी नौकरी नहीं मिल रही. आप भले ही बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा लें मगर उसे आगे सरकारी कॉलेज में जाना पड़ता है.

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पीके ने तंज कसते हुए कहा कि बिहार के स्कूलों में खिचड़ी बंट रही है, जबकि कॉलेजों में डिग्री बंट रही है. पढ़ाई कहीं नहीं हो रही है. अगर आपका बच्चा पढ़ेगा ही नहीं तो कोई उसे डॉक्टर-इंजीनियर और कलेक्टर नहीं बना सकता है. उसे जीवन भर मजदूरी करनी पड़ेगी.

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खेती का जिक्र करते हुए चुनावी चाणक्य प्रशांत किशोर आगे बोले कि इसे करके आपका जीवन क्यों नहीं सुधरा? पंजाब-हरियाणा में तो लोग खेती से राजा बन गए. वहां आपके यहां से कम उपजाऊ जमीन है पर किसान पैसे कमा रहे हैं.

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प्रशांत किशोर बोले कि बिहार में हालत इसलिए खराब है क्योंकि 100 आदमी में 60 आदमी के पास जमीन है ही नहीं. आप खेती करेंगे कैसे? यहां गरीब के नाम पर राजनीति हुई, समाजवाद की बात हुई और वोट लिया पर गरीब को जमीन नहीं दी गई.

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पीके के दावा है कि बिहार में जो लोग खेती करते हैं, वह कमाने वाली खेती नहीं बल्कि खाने वाली है. खेती करने वाला आदमी पेट भर लेगा और तेल-कपड़ा आदि का जुगाड़ कर लेगा पर उसके घर में शादी लग जाए या कोई बीमार हो जाए तब जमीन बेचे बगैर उपाय नहीं है.

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जन सुराज के संस्थापक ने कहा कि पढ़ाई और नौकरी का दरवाजा बंद है. खेती से भी कमाई का गेट बंद है. सिर्फ एक दरवाजा है. अगर आपके पैसा (पूंजी) होता तब आप कुछ काम-धंधा कर सकते थे. 100 में 80 आदमी में दिन में 100 रुपए भी नहीं कमा रहा है. ऐसे में आप रोजी-रोजगार के लिए पूंजी कहां से लाएंगे?

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पीके ने बताया कि सड़क बनवाने, अनाज बांटने, शौचालय बनवाने, पेंशन देने और बिजली-सिलेंडर देने से भी गरीबी खत्म नहीं होगी. गरीबी तब जाएगी जब अच्छी शिक्षा व्यवस्था होगी, खेती से आमदनी होगी और घर-घर महिला-युवा को सरकार पैसा/कर्ज देगी.

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