इंदौर का अनोखा मंदिर, जहां बनता है उल्टा स्वास्तिक, क्या है मान्यता जानें
मध्यप्रदेश के इंदौर में गणेश जी के खजराना मंदिर की विशेष मान्यता है. दरअसल यहां भक्त मंदिर में उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं. इसी वजह से मंदिर की ये प्राचीन और प्रसिद्ध परंपरा देश-विदेश के भक्तों को आकर्षित करती है.
खजराना मंदिर भक्ति मनोकामना पूर्ति के लिए अनोखा तरीका अपनाते हैं, यहां गणेशजी के मंदिर के पीछे दीवार पर लोग उल्टा स्वस्तिक चिह्न बनाते हैं. कहते हैं कि इससे कठिन कार्य भी सिद्ध हो जाते हैं. अड़चने दूर होती है.
माना जाता है कि इस मंदिर में उल्टा स्वस्तिक बनाने से हर मुराद पूरी हो जाती है और मन्नत पूरी होने के बाद दोबारा आकर सीधा स्वास्तिक बनाया जाता है और गणपति जी का आभार व्यक्त करते हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्वास्तिक का उल्टा रूप विशेष रूप से तब बनाया जाता है जब व्यक्ति किसी खास समस्या या कठिनाई से जूझ रहा होता है. जब कोई व्यक्ति अपनी इच्छा पूरी होने के बाद फिर से उसी स्थान पर वापस जाकर सीधा स्वास्तिक बनाता है, तो यह उसकी आभार व्यक्त करने की प्रक्रिया मानी जाती है.
उल्टा स्वास्तिक केवल उन जगहों पर ही बनाया जाना चाहिए जहां इसकी धार्मिक मान्यता हो, जैसे मंदिर या तीर्थ स्थल. घर में उल्टा स्वास्तिक बनाने से पूजा का पूरा लाभ नहीं मिलता है और इसे शुभ भी नहीं माना जाता है.
इंदौर का खजराना स्थित गणेश मंदिर का निर्माण 1735 में होलकर वंश की महारानी अहिल्या बाई ने करवाया था. मंदिर की मूर्ति को औरंगजेब से बचाने के लिए कुए में छिपा दिया था. सालों बाद मंदिर के पंडित मंगल भट्ट को सपने में अपनी उपस्थिति का अहसास दिलाया. इसके बाद मूर्ति मंदिर में स्थापित की गई.