Chhath Puja 2023: छठ पूजा मनाने के पीछे क्या कारण है?, जानें इसकी वजह
इससे सीता ने मुग्दल ऋषि के आश्रम में रहकर छह दिनों तक सूर्यदेव भगवान की पूजा की थी. सप्तमी को सूर्योदय के समय फिर से अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था.
ऐसा माना जाता है छठ के दिन सूर्यदेव की पूजा करने से व्रत करने वाले जातकों के सुख, समृ्द्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है. इस व्रत की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी.
ऐसा माना जाता है इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं के संतान का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है और उनके बच्चों तो लंबी आयु मिलती है. इसीलिए माताएं अपनी संतान के लिए इस व्रत को रखती हैं.
इस पर्व को मनाने के पीछे जो वैज्ञानिक कारण है वो यह है कि इस पर्व में सूर्य की पूजा की जाती है. कुंडली में जिस व्यक्ति का सूर्य मजूबत होता है वो निर्णय अच्छे से ले सकता है. पानी में खड़े होकर सूर्य की आराधना करने से सूरज की रोशनी का प्रभाव दोगुना हो जाता है. व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता अच्छी होती है.
जब प्रभु राम और सीता माता 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तब रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए उन्होंने ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूर्य यज्ञ करने का फैसला लिया. पूजा के लिए उन्होंने मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया. मुग्दल ऋषि ने मां सीता पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया.