मन को वश में कैसे करें? भगवत गीता से जानें मन को मित्र बनाने का अचूक उपाय

मन आपका सबसे बड़ा शत्रु है. जिस व्यक्ति का अपने मन पर नियंत्रण होता है, उसे हर काम में सफलता मिलती है. हम भी कई बार मन पर नियंत्रण न रख पाने के कारण ऐसा कुछ कर जाते हैं, जिसका पछतावा हमें बाद में होता है. भगवद गीता में मन को काबू में रखने का तरीका बताया गया है.
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भगवद गीता का एक श्लोक- उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्, आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मन:|| जिसका अर्थ है- मनुष्य को खुद का उद्धार करना चाहिए. वह खुद ही अपना मित्र और खुद ही अपना शत्रु है.

मन हमारा दोस्त कब बनता है? जब हम आत्म अनुशासन का पालन करें, जब हम गलत विचारों पर नियंत्रण रखें. जब हम ध्यान और योग को अपनाएं, जब हम ज्ञान और सकारात्मकता को बढ़ावा दे, तब मन हमारा मित्र बनता है.
मन हमारा शत्रु कब बनता है? जब हम चिंता और डर में जीते हैं या जब हम आलस करते हैं और नकारात्मक विचारों को खुद पर हावी होने देते हैं. जब हम विचारों पर काबू नहीं रखते हैं. जब हम दूसरों को दोष और अपने आप पर काम नहीं करते हैं.
मन को नियंत्रण कैसे करें इसके लिए तीन आसान उपाय हैं. सबसे पहले ध्यान और योग करें. प्रत्येक दिन तकरीबन 10 मिनट का मेडिटेशन करें. सकारात्मक विचारों को अपनाएं.
अपने शब्दों और भावनाओं को काबू में रखें. स्वयं को अच्छा बनाने की कोशिश करें. गीता, धार्मिक ग्रंथ या प्रेरणादायक किताब पढ़ने की कोशिश करें.
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