Shivling: शिव भक्ति में गर्भवती महिलाओं को चेतावनी, क्यों प्रेग्नेंसी में नहीं छूना चाहिए शिवलिंग
शिव के लिंग स्वरूप को शिवलिंग कहा गया है. सनातन धर्म में शिवलिंग पूजन के कड़े नियम बताए गए हैं. क्योंकि यह भगवान शिव का निराकार और अनंत स्वरूप है जिसे ब्रह्मांड की उत्पत्ति और विनाश की ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है.
गर्भवती महिलाओं को शिवलिंग पूजन करने से जुड़ी कई मान्यताएं और मत प्रचलित हैं. कई लोग ऐसा मानते हैं कि, प्रेग्नेंट महिला को शिवलिंग स्पर्श नहीं करना चाहिए. आइए जानते हैं, आखिर ऐसा मानने के पीछे क्या कारण है.
शास्त्रों में शिवलिंग को ऊर्जा का अत्यंत शक्तिशाली केंद्र माना गया है. मान्यता है कि गर्भावस्था में महिला और गर्भस्थ शिशु दोनों ही भावनात्मक व शारीरिक रूप से संवेदनशील होते हैं, ऐसे में तीव्र आध्यात्मिक ऊर्जा का सीधा संपर्क संतुलन बिगाड़ सकता है.
कई विद्वानों का ऐसा तर्क है कि, शिवलिंग की अत्यधिक ऊर्जा गर्भस्थ शिशु के लिए संवेदनशील हो सकती है. इसलिए कुछ परंपराओं में गर्भवती महिलाओं को शिवलिंग को सीधे स्पर्श करने की मनाही होती है.
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, शिवलिंग ब्रह्मचर्य, तप और संहार–सृजन की शक्ति का प्रतीक है, जबकि गर्भावस्था सृजन की अवस्था है. इसलिए दोनों अवस्थाओं की ऊर्जा को अलग रखने की परंपरा बनी है.
गर्भावस्था में शिवलिंग न छूने का एक कारण यह भी हो सकता है कि, पुराने समय में मंदिरों में लंबे समय तक खड़े रहना, भीड़ और फिसलन जैसी स्थितियों से बचने और गर्भवती महिला की सुरक्षा के लिए ऐसे नियम बनाए गए हों.