Indo-China Relation: भारत और चीन के बीच रिश्ते उथल-पुथल भरे हैं, लेकिन कभी आपने सोचा है कि अगर ये दोनों देश साथ आते हैं, तो दुनिया कैसी होगी. आइए इसका जवाब जाना जाए.


चीन की पहचान ऐसे मुल्क के तौर पर होती है, जो एक हाथ से आपसे हाथ मिलाएगा लेकिन उसी पल आप पर वार करने के लिए दूसरे हाथ में चाकू रखेगा. भारत से बेहतर शायद ही कोई इस बात को जानता हो. चीनी नेता भारत की उथल-पुथल भरी राजनीति, यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर अच्छी राय नहीं रखते हैं. चीन भारत को अपने बराबर मानने के लिए तैयार ही नहीं है. हालांकि, ऐसा लगता है कि एशिया के दो सबसे बड़े देशों के बीच रिश्ते बदल रहे हैं. 


दरअसल, भारत और चीन के बीच 2020 में सीमा पर संघर्ष हुआ, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हुए. 40 चीनी सैनिकों की भी इस संघर्ष में मौत हुई. इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया. अगर आप इस नजरिए से देखें, तो ऐसा लगता है कि दोनों के बीच टेंशन अभी भी है. लेकिन इसका दूसरा नजरिया ये कहता है कि दोनों के बीच विवाद होने के बावजूद आर्थिक रिश्ते मजबूत हो रहे हैं. ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि अगर ये दोनों मुल्क दोस्त बन जाएं तो क्या होगा?  


चीन कैसे बना इतना शक्तिशाली? 


भारत और चीन का सफर 1950 के दशक से शुरू होता है. उस वक्त दोनों मुल्कों में प्रति व्यक्ति जीडीपी लगभग एक समान थी, लेकिन फिर चीन ने आर्थिक सुधार किए और उसका नतीजा ये निकला कि 1990 के बाद चीन एक आर्थिक महाशक्ति बन गया. बड़ी-बड़ी कंपनियों को खोला गया और चीन में मौजूद सस्ते लेबर की वजह से ये मैन्युफैक्चरिंग हब बन गया. 2023 की बात करें, तो अब भारत और चीन की आबादी भले ही एक समान होने वाली है, मगर चीन की अर्थव्यवस्था भारत से तीन गुना ज्यादा बड़ी है. 


चीन-भारत के सैन्य रिश्ते कैसे हैं? 


एशिया की दो महाशक्तियों के बीच रिश्ते पिछले छह दशक से उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं. इसकी मुख्य वजह सीमा विवाद रहा है. पहले 1962 का चीन-भारत युद्ध और फिर 2020 में जिस तरह लद्दाख में दोनों मुल्कों की सेनाएं आमने-सामने आईं, उसने रिश्तों को और बिगाड़ने का काम किया. यही वजह है कि भारत कभी पाकिस्तान की सीमा पर ज्यादा फोकस करता था, मगर अब चीन की हर चाल पर नजर रखी जा रही है. 


चीन की सीमा पर 70 हजार अतिरिक्त जवानों को तैनात किया गया है. इसके अलावा लड़ाकू विमान और मिसाइलें भी चीन को कंट्रोल में रखने के लिए तैनात की गई हैं. चीन के मन में भी भारत को लेकर डर बैठा हुआ है, इसी वजह से उसने भी हाल के दिनों में भारतीय सीमाओं के पास अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार किया है. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि दोनों मुल्कों के बीच सीमा पर रिश्ते तनावपूर्ण ही रहे हैं.


भारत-चीन के आर्थिक रिश्ते कैसे हैं? 


बॉर्डर एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर भारत और चीन भिड़े रहते हैं. लेकिन जैसे ही बात आर्थिक रिश्तों की आती है, हालात बिल्कुल ही उलट नजर आते हैं. भारत और चीन एक-दूसरे के साथ लाखों करोड़ रुपये का व्यापार करते हैं. 2020 के डाटा की बात करें, तो दोनों के बीच व्यापार 88 अरब डॉलर तक पहुंच गया. चीन भारत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों में से एक है. 


भारत में ओप्पो, शाओमी जैसी चीनी कंपनियों का बोलबाला है. 2020 में सीमा विवाद के बाद भले ही आर्थिक रिश्तों को झटका लगा हो, मगर फिर भी 2021 में द्विपक्षीय व्यापार 43 फीसदी और पिछले साल 8.6 फीसदी बढ़ा है. चीन की कंपनियों पर भारत ने शिकंजा कसा है, मगर अब निवेश सिंगापुर के रास्ते देश में पहुंच रहा है. भारत भी मशीनरी, दवाओं जैसी प्रमुख चीजों के लिए कहीं न कहीं चीन पर निर्भर है. 


क्या हो अगर भारत-चीन बन जाएं दोस्त?


भारत और चीन का साथ आना दोनों मुल्कों के लिए जितना फायदेमंद है, उतना ही यह दुनिया के लिए भी है. दोनों मुल्कों के करीब आने से उनके बीच व्यापार और निवेश बढ़ेगा, जिसका फायदा भारतीय और चीनी लोगों को रोजगार के रूप में मिलेगा. दोनों देश आर्थिक रूप से और ताकतवर बन जाएंगे. भारत-चीन की दोस्ती से स्थानीय और वैश्विक मुद्दों पर सहयोग बढ़ेगा. यूक्रेन, ताइवान जैसे मसलों को जल्द से जल्द सुलझाकर दुनिया में शांति स्थापित की जा सकेगी. 


भारत और चीन की दोस्ती का मतलब है कि एशिया के दो पावरहाउस एक-दूसरे से भिड़ना छोड़कर अपने विकास पर ध्यान देंगे. इस तरह एशिया में शांति आएगी और यहां समृद्धि होगी. साथ ही दुनिया को एक स्थिर और बहुध्रुवीय दुनिया मिलेगा, जहां ताकत किसी एक मुल्क के पास नहीं, बल्कि सभी के पास होगी.


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