नई दिल्ली: कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमरा रही है. लोगों की नौकरियां जा रही हैं. बेरोजगारी का आंकड़ा बढ़ रहा है. अपने देश की अर्थव्यस्था और रोजगार बनाए रखने के लिए हर देश इसे लेकर चिंतित हो रहा है. इसी कड़ी में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश अमेरिका ने सख्त कदम उठाए हैं. अमेरिका के चार सांसदों ने डोनाल्ड ट्रंप पर दबाव बनाया है कि वह एच-1बी एंट्री सहित गेस्ट वर्कर वीजा और विदेशी छात्रों के लिए वैकल्पिक प्रैक्टिल ट्रैनिंग को रद्द किया जाए. इसे रोकने से भारत प्रभावित होगा. ग्रेट डिप्रेशन के बाद से अमेरिकी जॉब को लेकर कभी ऐसा देखने को नहीं मिला था.


डोनाल्ड ट्रंप को लिखे गए एक पत्र में कहा गया कि कोरोना वायरस महामारी से अप्रैल में 20.5 मिलियन यानी 2 करोड़ से ज्यादा नौकरियां चली गईं जिससे 14.7 प्रतिशत बेरोजगारी बढ़ गई है. लेबर पार्टी के सांसद ने कम से कम अगले साल या बेरोजगारी सामान्य स्थिति में नहीं आने तक नए गेस्ट वर्कर वीजा को रद्द करने के लिए कहा है. उन्होंने हवाला दिया है अगर अतिरिक्त विदेशी गेस्ट वर्कर यहां आएंगे तो अमेरिकी नागरिकों जॉब मिलने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा.


इन वीजा और प्रोग्राम को रद्द करने की मांग


अमेरिकी सांसदों ने कम से कम एच-2बी वीजा(गैरकृषि सत्रीय कामगारों), एच- बी वीजा(विशेष व्यवसायिक कामगार), वैकल्पिक प्रैक्टिल ट्रैनिंग प्रोग्राम(ग्रेजुएशन के बाद विदेश छात्रों का एक्सटेंशन) और ईबी -5 आप्रवासी वीजा कार्यक्रम का उपयोग अमीर विदेशियों द्वारा निवेश के बदले में अमेरिकी निवास प्राप्त करने के लिए किया जाता है, को स्थगित करने के लिए कहा है.


इन चार सांसदों ने उठाया मुद्दा


सांसद चक ग्रेसले, टॉम कॉटन, टेड क्रुज और जोश हावली के मुताबिक संयुक्त राज्य का मानना है कि हर 10 लाख से भी ज्यादा गैर अप्रवासी अतिथि कामगार यहां आते हैं और इसका कोई मतलब नहीं है कि ये लोग यहां पर आए और अमेरिकी नागरिकों की बेरोजगारी बढ़ाए.


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