नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव पर अमेरिका भी लगातार नजर बनाए हुए है. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी बना रहे अमेरिकी रक्षा सचिव मार्क एस्पर ने कहा कि भारत-चीन सीमा तनाव पर अमेरिका भी बारीक निगरानी रखे है. अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस निमित्ज और भारतीय नौसैनिक जहाजों के बीच हिंद महासागर में संयुक्त अभ्यास के कुछ ही घंटों बाद आए इस बयान में एस्पर ने कहा कि भारत और अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण भागीदारी है.


थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में शरीक हुए एस्पर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत और चीन के बीच की स्थिति पर बहुत बारीकी से निगरानी रखे हुए हैं. हम यह देखकर बहुत खुश हैं कि दोनों पक्ष इस स्थिति को कम करने की कोशिश कर रहे हैं.


भारत और चीन के बीच तनाव घटाने को लेकर मशक्कत चल रही है


महत्वपूर्ण है कि चीन की पीएलए सेना के आक्रामक तेवरों के कारण भारत के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव का पारा बीते दो महीनों से काफी ऊंचा है. इस तनाव के दौरान ही भारत और चीन के सैनिकों के बीच 15 जून को गलवान घाटी में टकराव की स्थिति बनी जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हुए और चीन के उससे अधिक सैनिक मारे गए. इसके बाद से दोनों तरफ से तनाव घटाने और सैनिक आमने सामने की स्थिति कम करने को लेकर मशक्कत चल रही है.


महत्वपूर्ण है कि भारत और चीन के बीच बढ़े तनाव के बीच अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने अपने भारतीय समकक्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से दो बार फोन पर बात की थी. अमेरिका जहां चीन की दादागिरी को चुनौती देते हुए इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है. वहीं भारत के साथ भी अपनी रणनीतिक साझेदारी को अधिक मजबूत करने पर भी जोर दे रहा है.


अमेरिका और भारत ने किया संयुक्त नौसैनिक अभ्यास


अमेरिकी विमान वाहक पोत यूएसएस निमित्ज के कैरियर स्ट्राइक ग्रुप और भारतीय नौसेना के युद्धपोतों आईएनएस राणा, आईएनएस सह्याद्री, आईएनएस शिवालिक और आईएनएस कामोर्ता के बीच हिंद महासागर में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बीच संयुक्त अभ्यास किय गया था. इस नौसैनिक अभ्यास में यूएसएस निमित्ज के अलावा, अन्य अमेरिकी नौसेना के जहाज जैसे कि गाइडेड मिसाइल क्रूजर यूएसएस प्रिंसटन और मिसाइल विध्वंसक यूएसएस स्टेरेट और यूएसएस राल्फ जॉनसन भी शामिल थे.


अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस रोनाल्ड रीगन कैरियर स्ट्राइक ग्रुप ने मंगलवार को फिलीपींस सागर में ऑस्ट्रेलियाई नौसेना और जापानी नौसैनिक युद्धपोतों के साथ एक त्रिपक्षीय अभ्यास में भी भाग लिया. बीते दो दिनों में अमेरिकी युद्ध पोतों द्वारा हिंद महासागर क्षेत्र में किए गए इन नौसैनिक अभ्यासों से साफ है कि अमेरिका इस इलाके में चीन को सैन्य चुनौती देने के लिहाज से तैयारी कर रहा है.


अमेरिकी रक्षा सचिव का कहना था कि चीन दक्षिण पूर्व एशिया के अपने पड़ोसी देशों को धमकाता चला आ रहा है वहीं उसका रवैया भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक नहीं है. ऐसे में भी यह सबकी साझा जिम्मेदारी है कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार चीन पर बर्ताव के लिए दबाव बनाया जाए. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आवाजाही की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए अमेरिका प्रतिबद्ध है और इसके लिए वो अपने सहयोगियों और साझेदारों के साथ मिलकर काम करता रहेगा. एस्पर का कहना था कि अमेरिकी विमानवाहक पोत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दक्षिण चीन सागर और हिंद-प्रशांत महासागरी क्षेत्र में में रहे हैं. ऐसे में अब चीन को समुद्री आवाजाही की स्वतंत्रता के अंतरराष्ट्रीय जल नियमों को बदलने का कोई अधिकार नहीं है और न हो वो इसे अपना समुद्रीय सामाज्य घोषित कर सकता है.