Sri Lanka Economic Crisis: न्यूयॉर्क- संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (Unicef) ने कहा है कि गंभीर आर्थिक संकट (Economic Crisis) का सामना कर रहे श्रीलंका (Sri Lanka) में प्रमुख खाद्य पदार्थ पहुंच से बाहर हो गये हैं और कुपोषण (Malnutrition) की समस्या बढ़ गई है. यूनिसेफ (Unicef) ने कहा कि गरीब लड़के और लड़कियों (Poor Girls and Boys) को इसका सबसे अधिक खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. दक्षिण एशिया (South Asia) के लिए यूनिसेफ ( (Unicef)) के क्षेत्रीय निदेशक, जॉर्ज लारिया-अडजेई ने कहा कि खाद्य असुरक्षा ने पहले से ही श्रीलंका को गंभीर सामाजिक समस्याओं की ओर धकेल दिया है.


जॉर्ज लारिया-अडजेई ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, ‘परिवारों को नियमित रूप से भोजन नहीं मिल पा रहा है क्योंकि मुख्य खाद्य पदार्थ पहुंच से बाहर हो गए हैं. बच्चे भूखे सो रहे हैं, वे समझ नहीं पा रहे हैं कि उनके लिए भोजन की व्यवस्था कहां से होगी.’


श्रीलंका में गंभीर कुपोषण की समस्या
जॉर्ज लारिया-अडजेई ने कहा कि बड़े पैमाने पर खाद्य असुरक्षा इस क्षेत्र में कुपोषण, गरीबी, बीमारी और मृत्यु को और बढ़ावा देगी. उन्होंने कहा कि श्रीलंका में गंभीर कुपोषण की समस्या पहले से ही है. उन्होंने कहा कि मौजूदा आर्थिक संकट ने श्रीलंका के सामाजिक बुनियादी ढांचे की कमियों को उजागर किया है. गौरतलब है कि श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट की चपेट में है. इस संकट के कारण लाखों लोगों को भोजन, दवा, ईंधन और अन्य आवश्यक चीजें खरीदने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.


राष्ट्रपति गोटाबाया ने जुलाई में छोड़ा था सिंगापुर
जुलाई में श्रीलंका में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच देश छोड़ने के बाद सिंगापुर में रह रहे राजपक्षे थाइलैंड में शरण चाह रहे थे क्योंकि उनका सिंगापुर का वीजा की सीमा खत्म हो रही थी. वह 13 जुलाई को मालदीव पहुंचे थे और उसके बाद सिंगापुर गये जहां उन्होंने देश के आर्थिक संकट को लेकर प्रदर्शनों के बीच अपने इस्तीफे की घोषणा की. प्रयुत के हवाले से बैंकॉक पोस्ट (Bangkok Post) अखबार ने लिखा था कि यह मानवीयता के आधार पर उन्होंने शरण मांगी थी जिसपर हमने कहा है कि यह अस्थायी प्रवास है. कोई (राजनीतिक) गतिविधि की अनुमति नहीं है और इससे उन्हें शरण लेने के लिए किसी देश की खोज में मदद मिलेगी. विदेश मंत्री डी प्रमुद्विनाई ने कहा था कि पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे थाइलैंड (Thailand) में 90 दिन तक रह सकते हैं क्योंकि वह अब भी राजनयिक पासपोर्ट (Diplomatic Passport) धारक हैं.


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