रूस और यूक्रेन के बीच मंगलवार को हुई बातचीत खत्म हो गई है. तुर्की के इस्तांबुल में दोनों देशों के बीच 3 घंटे बात हुई. दोनों देशों के बीच सीजफायर पर सहमति की उम्मीद है. रूस के प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि बातचीत सकारात्मक रही. दोनों देशों के बीच बातचीत अगले दो हफ्ते भी जारी रहेगी. 


बता दें कि रूस चाहता है कि यूक्रेन नाटो में शामिल ना हो और डोनबास इलाके को इंडिपेंडेंट घोषित किया जाए. ये लगभग तय है कि यूक्रेन रूस की इन मांगों को मान चुका है. उधर, यूक्रेन ने 8 देशों से सुरक्षा पर गारंटी मांगी है. न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक, यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि आज की बातचीत के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच मुलाकात हो सकती है. 


बता दें कि दोनों देशों के बीच वार्ता का नया दौर तब आया जब रूसी सेना ने कहा कि वह पूर्वी यूक्रेन पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर देगी, कुछ विश्लेषकों ने मास्को की महत्वाकांक्षाओं को कम करने के रूप में देखा. रूस और यूक्रेन के बीच जंग को 30 से ज्यादा दिन हो गए हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ये सबसे बड़ा यूरोपीय संघर्ष है. जंग के कारण 3.8 मिलियन से अधिक यूक्रेनियन देश छोड़ चुके हैं.


आज हुई बातचीत में रूसी अरबपति रोमन अब्रामोविच भी शामिल हुए. उन्हें तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन से बात करते देखा गया, जो इस्तांबुल में वार्ता में मध्यस्थता कर रहे हैं. अब्रामोविच को मास्को और कीव के बीच मध्यस्थता की भूमिका के लिए जाना जाता है. 


वार्ता शुरू होने से पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि उनका देश तटस्थता की घोषणा करने के लिए तैयार है, जो रूस की प्रमुख मांगों में से एक है. हालांकि, उनके मुख्य वार्ताकारों में से एक विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने स्पष्ट किया कि उनके पास निर्देश थे कि हम लोगों, भूमि या संप्रभुता का ट्रेड नहीं करते हैं. 


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