यूक्रेन रूस के बीच जंग का आज पांचवां दिन है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मानने को तैयार नहीं और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की झुकने को तैयार नहीं. उधर यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों की जान पर बन आई है. भारतीय दूतावास की मदद से इन छात्रों को भारत लाने की कोशिश जारी है. यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को भारतीय दूतावास वापस भारत लाने के लिए अलग-अलग बॉर्डर पर व्यवस्था कर रही है. कोई कड़कती ठंड में 40 किलोमीटर पैदल चलकर बॉर्डर पहुंच रहा है तो किसी को 24 घंटे से अधिक भूखे प्यासे बॉर्डर पर इंतजार करना पड़ रहा है.


ऐसे ही रोमानिया के बुखारेस्ट पहुंचे भारतीय छात्रों से एबीपी न्यूज ने बातचीत की. करीब पांच हजार बच्चे बॉर्डर पर खड़े हैं. छात्राओं ने एबीपी न्यूज को उनकी बदहाली की कहानी सुनाई. छात्रों ने बताया उनका सामान गायब हो चुका है. मोबाइल की बैट्री खत्म हो चुकी है. लैपटॉप टूट चुके हैं. लगैज सबके खो गए हैं सिर्फ डॉक्यूमेंट बचे हैं. भगदड़ मच रही है. 


कोई सरकार से नाराज तो किसी ने की तारीफ
छात्रों का एक ग्रुप भारत सरकार की व्यवस्था से भी थोड़ा नाराज दिखा. उनका कहना था कि जब उनको पता था कि बीस हजार से अधिक बच्चे हैं तो इंतजाम बेहतर करने चाहिए थे. इंडियन एंबेसी को ये सोचना चाहिए था कि हम मेल कर-कर के थक गए.


कुछ छात्र तो यूक्रेनियन यूनिवर्सिटी को ही इसके लिए जिम्मेदार बताने लगे. युद्ध के हालात को देखते हुए बच्चे अपने भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं. जब एबीपी न्यूज ने छात्रों से उनके भविष्य के बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा, 'सरकार बदल जाएगी, हमारे कागज वहीं हैं. पता नहीं बचेंगे की नहीं. भविष्य अंधेरे में है. इंडियन गर्वमेंट हमारे कागजों को बचाने की कोशिश करें.'


वहीं कुछ और छात्रों से एबीपी न्यूज ने बुखारेस्ट तक के सफर के बारे में पूछा तो उन्होनें भारत सरकार को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, 'अच्छे से पंहुच गए बेहतर इंतजाम था.' आखिरी में जब एबीपी न्यूज ने उनसे पूछा कैसा लग रहा है तो उन्होंने कहा, 'आए थे मेडिकल की पढ़ाई करने.. जिंदगी बचाने की पढ़ाई करने लेकिन अपनी जान कैसे बचाएं इसकी पढ़ाई भी कर ली.' हालांकि कुछ छात्रों को विशेष फ्लाइट से भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है लेकिन अब भी हजारों छात्र न सिर्फ यूक्रेन पर फंसे हैं बल्कि बॉर्डर पर अटके भी हुए हैं. 


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