COP28 UAE Presidency: जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस और COP28 के अध्यक्ष सुल्तान अहमद अल जाबेर आमने-सामने आ गए हैं. एक तरफ एंटोनियो गुटारेस का कहना है कि भविष्य की कल्पना बगैर जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल का होना चाहिए. 


उन्होंने कहा कि हम ग्लोबल वार्मिंग को इसके अलावा किसी और उपाय के जरिए नहीं रोक पाएंगे. अगर सही फैसला नहीं लिया गया तो हम जलते हुए ग्रह (पृथ्वी) को जीवाश्म की आग से नहीं बचा पाएंगे. हालांकि इससे एक दिन पहले यानी 30 नवंबर को COP28 के अध्यक्ष सुल्तान अहमद अल जबर ने जीवाश्म ईंधन के लगातार इस्तेमाल के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था. 


पर्यावरण कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी


जलवायु परिवर्तन पर नजह रखने वाले कई कार्यकर्ता दुबई में COP28 के सम्मेलन से नाराज हैं. उनका मानना है कि संयुक्त अरब अमीरात दुनिया में तेल के 10 सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है और वह जलवायु परिवर्तन की वकालत कैसे कर सकता है. पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने यूएई में जलवायु शिखर सम्मेलन के आयोजन को यूएई के हितों का टकराव (Conflict Of Interest) बताया है. 


सुल्तान अल जाबेर की अध्यक्षता पर बवाल


संयुक्त अरब अमीरात COP28 की मेजबानी कर रहा है. यूएई ने अपनी ओर से सुल्तान अल जाबेर को COP28 का अध्यक्ष बनाया है. लेकिन उनकी अध्यक्षता विवादों के बीच फंसी हुई है. दरअसल वह यूएई की सरकारी तेल कंपनी अबु धाबी नेशनल ऑइल कंपनी के प्रमुख हैं. कहा जा रहा है कि सुल्तान अल जाबेर COP28 शिखर सम्मेलन के दौरान किसी भी ऐसे मुद्दे पर सहमति बनने की आड़ में आएंगे जो जीवाश्म ईंधन की कटौती या उसपर निर्भरता को खत्म करने की वकालत करता हो.


पहले भी जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर तेल व्यापार में शामिल लोगों के शामिल होने पर विवाद होता रहा है. माना जाता है कि पर्यावरण कार्यकर्ता और तेल व्यापार से जुड़े लोग किसी भी प्रस्ताव पर आमने-सामने आ जाते हैं. लेकिन दोनों पक्षों की रस्साकसी के बीच जलवायु परिवर्तन का मुद्दा हर बार बेनतीजा रह जाता है. हालांकि कई जानकारों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन की नीति बनाने के लिए तेल व्यापरियों को भी साथ लेकर चलना होगा, तभी एक स्पष्ट नीति बन सकेगी.


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