Sri Lanka Presidential Election: श्रीलंका (Sri Lanka) में आज राष्ट्रपति पद (Presidential Elections) के लिए वोटिंग हो रही है. मुकाबले में तीन उम्मीदवार मैदान में हैं. सांसदों ने मंगलवार 19 जुलाई को उम्मीदवारों के रूप में कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) सहित तीन लोगों के नामों का प्रस्ताव किया. विक्रमसिंघे का मुकाबला दुल्लास अल्हाप्पेरुमा (Dullas Alahapperuma) और अनुरा कुमारा दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake )  से होगा.


देर शाम तक नतीजे आने की उम्मीद
श्रीलंका की संसद की कार्यवाही भारतीय समय के मुताबिक सुबह 10 बजे से शुरु हो चुकी है. पहला वोट स्पीकर जबकि दूसरा वोट रानिल विक्रमसिंघे ने डाला. 225 सांसद गुप्त मतदान में वरीयता के क्रम में उम्मीदवारों की रैंकिंग करेंगे. देर शाम तक नतीजे आने की उम्मीद है. अल्हाप्पेरुमा कट्टर सिंहली बौद्ध राष्ट्रवादी और सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के सदस्य हैं. वहीं, दिसानायके वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के प्रमुख सदस्य हैं.


प्रेमदासा का अलहाप्पेरुमा का समर्थन
इससे पहले श्रीलंका के प्रमुख विपक्षी दल समागी जाना बालवेगया (एसजेबी) के नेता एस प्रेमदासा ने मंगलवार को कहा कि वह अलहाप्पेरुमा को समर्थन देने के लिए राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर हो रहे हैं. अल्हाप्पेरुमा ने उनका समर्थन करने और राष्ट्रपति चुनाव से हटने के लिए प्रेमदासा का आभार व्यक्त किया. बाद में, अल्हाप्पेरुमा और प्रेमदासा ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में भाग लिया. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि अल्हाप्पेरुमा अगर राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतते हैं तो अगले पीएम प्रेमदासा हो सकते हैं. 


नवंबर 2024 तक पद पर रहेंगे पूर्व राष्ट्रपति
नए राष्ट्रपति नवंबर 2024 तक पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) के शेष कार्यकाल के लिए पद पर रहेंगे. गौरतलब है कि राजनीतिक और आर्थिक उथल-फुथल से गुजर रहे श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे जनता के भारी विरोध के देश छोड़कर भाग गए थे और उसके बाद उन्होंने इस्तीफा देने की घोषणा की थी. वह फिलहाल सिंगापुर (Singapore) में हैं. इस समय प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे राष्ट्रपति पद का कार्यभार अस्थायी रूप से संभाल रहे हैं.


1978 के बाद पहली बार सांसद चुनेंगे नए राष्ट्रपति
श्रीलंका में 1978 के बाद से पहली बार देश के अगले राष्ट्रपति का चुनाव सांसदों द्वारा गुप्त मतदान के जरिए होगा न कि जनादेश के जरिए. इससे पहले केवल 1993 में कार्यकाल के बीच में ही राष्ट्रपति (President) का पद खाली हुआ था, जब तत्कालीन राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा (Ransinghe Premadasa) की हत्या कर दी गयी थी. तब डी बी विजेतुंगा को संसद (Parliament) ने सर्वसम्मति से प्रेमदास का कार्यकाल पूरा करने का जिम्मा सौंपा था.


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