भारत के कैप्टन शुभांशु शुक्ला 20 दिवसीय ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन से वापस लौटे तो उन्होंने एक ऐसा पल जिया, जो जितना मजेदार था, उतना ही गहरा भी. ह्यूस्टन में अपने कमरे में आराम करते हुए उन्होंने अपना लैपटॉप बंद किया और बस वहीं छोड़ दिया, जैसे वह अंतरिक्ष में तैरता रह जाएगा, लेकिन यह पृथ्वी थी और लैपटॉप जमीन पर गिर गया.
यह पल भले ही मामूली लगे, लेकिन यह उस व्यापक बदलाव की झलक देता है, जो अंतरिक्ष यात्री अपनी वापसी पर महसूस करते हैं. यह बदलाव सिर्फ़ शरीर का नहीं होता, यह दिमाग, संवेदना और आदतों का भी होता है. एक ऐसी दुनिया से वापस आना जहां गुरुत्वाकर्षण नहीं है, यह उतना ही चुनौतीपूर्ण है जितना वहां जाना.
माइक्रो ग्रैविटी से धरती की ओर लौटनाअंतरिक्ष में इंसान का शरीर कुछ ही दिनों में वातावरण के अनुसार बदलने लगता है. मांसपेशियां ढीली पड़ती हैं, हड्डियां घनत्व खोने लगती हैं और मस्तिष्क नया संतुलन सीखता है. माइक्रो ग्रैविटी (microgravity) में हर चीज तैरती है और दिमाग भी यही मानकर काम करता है. शुक्ला के साथ यही हुआ. एक और उदाहरण में उन्होंने साझा किया कि जब उन्होंने एक सहकर्मी से फ़ोन लिया तो वह उसके वजन से चौंक गए. एक साधारण वस्तु, जो वर्षों से परिचित थी अचानक भारी लगने लगी.
धीमा ही तेज होता है अनुभवहीन अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सीखएनडीटीवी के साथ एक इंटरव्यू में कमांडर पैगी व्हिटसन ने कहा कि उन्होंने भारतीय दल को ट्रेनिंग में सबसे पहले यही सिखाया कि धीमा ही तेज होता है, क्योंकि अगर आप कम ग्रैविटी में तेजी से चलते हैं तो आप दीवारों से टकराते हैं, मशीन गिराते हैं या खुद को नुकसान पहुंचा सकते हैं, लेकिन शुक्ला और उनके साथियों ने यह सीख गंभीरता से ली और चीनी दुकान के बैल नहीं बने और वे नपे-तुले, संतुलित और सजग अंतरिक्ष यात्री साबित हुए.
1.22 करोड़ किलोमीटर की यात्राएक्सिओम मिशन 4 (Ax-4) के तहत ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने 433 घंटे, यानी 18 दिन और 288 पृथ्वी परिक्रमाएं कीं. यह यात्रा लगभग 1.22 करोड़ किलोमीटर की रही, जो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी का 32 गुना है. इस यात्रा की लागत लगभग 7 करोड़ डॉलर थी, जिसे भारत सरकार और निजी कंपनी Axiom Space के मदद से पूरा किया गया. यह भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक नया युग है, जिसमें निजी साझेदारी, वैश्विक प्रशिक्षण और मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ानों की नई संभावनाएं खुल रही हैं.
वापसी के बाद का विज्ञानधरती पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्री पुनर्वास कार्यक्रम में भाग लेते हैं, जिसमें उन्हें फिर से गुरुत्वाकर्षण से सामंजस्य बिठाने की ट्रेनिंग दी जाती है. इसमें संतुलन अभ्यास, ताकत बढ़ाने वाले वर्कआउट और स्वास्थ्य निगरानी शामिल होती हैं. हालांकि तीन-चार दिनों में वे सामान्य महसूस करने लगते हैं, लेकिन पूरी रिकवरी में हफ्तों लग सकते हैं. यह शरीर के लचीलेपन और मानसिक दृढ़ता का प्रमाण है कि अंतरिक्ष यात्री इस प्रक्रिया से सफलतापूर्वक गुजरते हैं.
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