विदेश मंत्री एस जयशंकर की सिंगापुर यात्रा और देश के शीर्ष नेतृत्व के साथ उनकी मुलाकात ने सहयोग के कई क्षेत्रों में प्रगति का जायजा लेने और द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को और प्रगाढ़ बनाने का अवसर प्रदान किया. जयशंकर 23 से 25 मार्च तक सिंगापुर में थे और इस दौरान उन्होंने सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सेन लूंग, उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री लॉरेंस वोंग से मुलाकात की.


भारत के विदेश मंत्रालय ने सोमवार (25 मार्च) के एक बयान में कहा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने फिनटेक, डिजिटलीकरण, हरित अर्थव्यवस्था, कौशल विकास और खाद्य सुरक्षा समेत द्विपक्षीय सहयोग के चिह्नित स्तंभों में भागीदारी को और गहरा बनाने पर विचार साझा किए.


जयशंकर ने सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन से परस्पर हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की. उन्होंने नेतृत्व और कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें कीं और द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करने के उपायों एवं हिंद-प्रशांत तथा पश्चिम एशिया क्षेत्र में स्थिति पर चर्चा की.


विदेश मंत्रालय ने कहा, 'इस यात्रा ने भारत और सिंगापुर के बीच रणनीतिक साझेदारी को और गहरा बनाने और सहयोग के कई क्षेत्रों में प्रगति का जायजा लेने का अवसर प्रदान किया.' जयशंकर ने व्यापार और उद्योग मंत्री गन किम योंग से भी अलग से मुलाकात की और उनसे व्यापार व निवेश, हरित ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा में द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की.


उन्होंने वित्त मंत्री लॉरेंस वोंग, गृह मामलों के व कानून मंत्री के. षनमुगम और राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के समन्वय मंत्री टीओ ची हेन से भी मुलाकात की. सिंगापुर की यात्रा के दौरान जयशंकर ने इंडियन नेशनल आर्मी के जवानों के लिए बने एक युद्ध स्मारक पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने सिंगापुर में भारतीय समुदाय से बातचीत की और इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में विचारक समूहों (थिंक टैंक) और नीति निर्माताओं से बातचीत की. सिंगापुर आसियान में भारत के लिए मौजूदा समन्वयक है और उसे पिछले साल जी20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान अतिथि देश के तौर पर आमंत्रित किया गया था.


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