Russia Wagner Conflict Update: रूस के खिलाफ जंग का ऐलान करना, मॉस्को की तरफ कूच करना, रास्ते में आने वाली किसी भी ताकत को नेस्त-नाबूत करने की घोषणा करना और फिर अचानक रूस से भागने वाली डील पर दस्तखत करना... ये शनिवार को रूस में वैगनर चीफ के कारनामों की कहानी है. जितनी तेजी से रूस पर वैगनर चीफ ने हमला किया था, उससे ज्यादा तेजी से भागने की घोषणा कर दी.


वैगनर चीफ येवगेनी प्रिगोजिन के नेतृत्व में करीब 5 हजार लड़ाके यूक्रेन की सीमा की तरफ से रूस में घुसे थे और रूस के सैनिकों ने उन्हें रूस में घुसने से नहीं रोका. वैगनर के लड़ाकों ने यूक्रेन की सीमा से लगते रूसी शहर रोस्तोव-ऑन-डॉन के सैन्य ठिकाने पर कब्जा कर लिया और यह कब्जा, बगैर किसी खून-खराबे के हुआ.


रूस की सैनिक-पुलिस ने वैगनर ग्रुप को आगे बढ़ने दिया 
वैगनर ग्रुप जब मॉस्को की तरफ बढ़ रहा था, तो उसे कोई नहीं रोक रहा था. रूस के सैनिक और पुलिस वैगनर ग्रुप को लगातार आगे बढ़ने दे रहे थे और ये काफी हैरान करने वाला था. वैगनर ग्रुप को लग रहा था कि वो मॉस्को पर कब्जा कर लेगा, लेकिन उसे नहीं पता था कि वो काल के गाल में समाने जा रहे हैं.


भला सोचिए कि किसी देश की राजधानी पर कब्जा जमाने के लिए कोई फौज आगे बढ़ रही थी और उसे रोकने की कोशिश नहीं की जा रही थी, ये भला कैसे हो सकता है. लेकिन, ऐसा हो रहा था क्योंकि पुतिन जानते थे कि वैगनर चीफ को कैसे रोकना है.


मॉस्को को पूरी तरह से सील कर दिया गया
रिपोर्ट के मुताबिक, वैगनर को नहीं रोकते हुए पुतिन ने मॉस्को को किला बनाने का निर्देश दे दिया, जिसके बाद राजधानी मॉस्को को पूरी तरह से सील कर दिया गया. दूसरी तरफ, पुतिन ने रूसी लोगों को संबोधित करते हुए चेतावनी दी कि प्रिगोजिन ने 'उनकी पीठ में छुरा घोंपा है'. उन्होंने प्रिगोजिन को गद्दार ठहराया और कहा कि गद्दारों को बख्शा नहीं जाएगा. यानि पुतिन ने तय कर लिया था कि प्रिगोजिन के साथ क्या करना है.


पुतिन के जाल में फंसे प्रिगोजिन 
रूस के खिलाफ विद्रोह का ऐलान करने वाले प्रिगोजिन ने यह कहकर अपनी सेना को वापस लौटने का आदेश दिया कि वो 'खूनखराबा' नहीं चाहते हैं. तो फिर प्रिगोजिन को अचानक रक्तपात की याद कैसे आ गई? जब वो रूस में तख्तापलट के लिए दाखिल हो रहे थे, क्या उस वक्त उन्हें नहीं पता था कि रक्तपात हो सकता है? दरअसल, पुतिन के जाल में प्रिगोजिन फंस गए थे.


प्रिगोजिन का गेम उल्टा पड़ा
प्रिगोजिन की फौज को बिना किसी विरोध के आगे बढ़ने दिया जा रहा था और फिर उन्हें घेर लिया गया था. रूसी वायुसेना के कुछ फाइटर जेट्स ने प्रिगोजिन के कुछ सैनिकों पर बम भी बरसाना शुरू कर दिया था और प्रिगोजिन को लग गया था कि उनका गेम उल्टा पड़ गया है और वो बचने वाले नहीं हैं. प्रिगोजिन, जो रूसी राष्ट्रपति के पुराने दोस्त रहे हैं, उन्होंने बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंटर लुकाशेंको की बात सुनी और शांति समझौते के लिए फौरन तैयार हो गए.


मिसाइल बैराज सिस्टम तैनात किए गए
वैगनर ग्रुप का सफाया करने के लिए रूस की राजधानी मॉस्को को एक किला बना दिया गया था और रूसी सैनिकों ने ओका नदी पर एक पुल बनाने का काम शुरू कर दिया था. जहां पर मशीन गन, ग्रेनेड लॉन्चर, मिसाइल बैराज सिस्टम तैनात किए गए थे. वहीं, मॉस्को में कई और तस्वीरें ऐसी देखने को मिलीं, जहां रूसी सैनिकों को बैरिकेड्स और मशीन गन को लगाते हुए देखा गया. यानि अगर वैगनर विद्रोही शांति समझौते के लिए तैयार नहीं होते तो मॉस्को शहर में खून की नदियां बह सकती थी.


मॉस्को में लॉकडाउन लगा दिया गया
मॉस्को के लोगों को घरों में रहने के लिए कहा गया था और शहर में लॉकडाउन लगा दिया गया था. राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन युद्ध के बाद एक कानून बनाया हुआ है, जिसके तहत वो रूस के किसी भी हिस्से में लोगों को 30 दिनों तक एक साथ हिरासत में रख सकते हैं. ये रूस का मार्शल कानून है, जिसे मॉस्को में लगाए जाने की बात चल रही थी. इसके साथ ही, फाइटर हेलीकॉप्टर्स मॉस्को के ऊपर मंडराने लगे थे. मॉस्को ने भीषण जंग की पूरी तैयारी कर ली थी और अगर जंग होती तो वैगनर ग्रुप का नामोनिशान मिट गया होता.


पुतिन का मकसद एक जगह पर लाकर वैगनर ग्रुप को घेरना था और फिर उन्हें जड़ से उखाड़ फेंकना था, जैसी लड़ाई रूस, यूक्रेन के मारियुपोल और बखमुत में कर चुका है. मारियुपोल में एक फैक्ट्री के अंदर यूक्रेन के कई हजार सैनिकों को रूस ने एक महीने तक बंधक बनाकर रखा था और बखमुत की लड़ाई तो खुद वैगनर चीफ भी देख चुके थे, लिहाजा समय रहते प्रिगोजिन पुतिन के इरादे समझ गए और उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. जिसके बाद उन्होंने वक्त की नजाकत को समझा और लुकाशेंको के साथ समझौता कर बेलारूस भागने के लिए तैयार हो गए.


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