रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होते ही यूरोप में साइबर अटैक किया गया था. यूरोप में हजारों ‘मॉडेम’ को प्रभावित करने वाले और यूक्रेन की सेना और सरकार की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले उपग्रह नेटवर्क पर साइबर हमले के लिए ‘सॉफ़्टवेयर कमांड’ का इस्तेमाल देश पर रूस के आक्रमण करते ही किया गया था. उपग्रह (सैटेलाइट) के स्वामित्व वाली कंपनी ने बुधवार को यह खुलासा किया. ‘मॉडेम’ एक प्रकार का हार्डवेयर उपकरण है, जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर को केबल या टेलीफोन के माध्यम से डेटा भेजने के लिए किया जाता है. अमेरिका स्थित ‘वायासेट’ के मालिक ने साइबर हमले के संबंध में पहली बार जानकारी देते हुए एक बयान जारी किया. 


रूस-यूक्रेन में जंग शुरू होते ही यूरोप में हुआ साइबर हमला


अमेरिका स्थित ‘वायासेट’ के मालिक ने आगे बताया कि रूस और यूक्रेन युद्ध के सबसे गंभीर ज्ञात साइबर हमले के बारे में कैसे पता चला. इस व्यापक हमले ने पोलैंड से लेकर फ्रांस तक के यूजर्स को प्रभावित किया. मध्य यूरोप में हजारों ‘विंड टर्बाइन’ तक पहुंच बाधित होने से हमले की जानकारी मिली. ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ द्वारा अलग से पूछे जाने के बावजूद ‘वायासेट’ ने यह नहीं बताया कि हमले के लिए कौन जिम्मेदार था. 


यूक्रेन ने रूसी हैकर्स को ठहराया जिम्मेदार


यूक्रेन के अधिकारियों ने हालांकि इसके लिए रूसी हैकर्स को जिम्मेदार ठहराया है. रूस के यूक्रेन पर आक्रमण शुरू करते ही ‘वायसैट’ पर हमला किया गया था, जिसे कई लोग अब तक किसी भी युद्ध के दौरान किया गया सबसे बड़ा साइबर हमला मानते हैं. इस तरह के हमले अभी तक सामने नहीं आए थे. साइबर हमले के कारण यूरोपीय देशों के हजारों लोगों के ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन प्रभावित हुए थे.


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