यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेस्की रुस से जंग लड़ने के लिए अमेरिका सहित पूरी दुनिया से हथियारों की मांग कर रहे हैं. वहीं यूक्रेन के डि-मिलिट्राइजेशन के लिए रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सेना ने जेलेंस्की के सभी सैन्य ठिकानों और छावनियों को तबाह करने पर उतारु हैं. इस बीच रुस-यूक्रेन युद्ध के 50 दिन होने पर एबीपी न्यूज की टीम यूक्रेन से अलग हुए लुहांस्क के एक बड़े वॉर-जोन पहुंची तो वहां पर यूक्रेन सेना के ठिकानों और बंकरों में अमेरिकी हथियार मिले जो यूक्रेन के सैनिक यहां छोड़कर भाग खड़े हुए थे. 


यूक्रेन से अलग हुए लुहांस्क की रुस समर्थित मिलेशिया यानि विद्रोही गुट और जेलेंस्की की सेना में आर-पार की जंग जारी है. मिलेशिया की नई सरकार का दावा है कि लुहांस्क के 80-90 फीसदी इलाके पर उनका कब्जा हो गया है. यानि यूक्रेन की सेना को यहां से लगभग खदेड़ दिया गया है. एबीपी न्यूज़ की टीम जब लुहांस्क शहर (रुसी भाषा में 'लुगांस्क') पहुंची तो वहां लगभग शांति थी. शहर में कम ही लोग थे लेकिन स्थिति स्थिर थी. सड़क पर बस, गाड़ियां और पैदल लोग आते-जाते दिखाई पड़ रहे थे. 


यूक्रेनी सेना के ठिकानों और बंकरों में मिले अमेरिकी हथियार


लुहांस्क शहर से बाहर निकलते ही स्थिति बदलने लगती है. लुहांस्क की स्थिति कैसे बदल रही है, ये बताने से पहले आपको बता दें कि लुहांस्क शहर के नाम पर ही रुस के राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के डॉनबास प्रांत के एक बड़े इलाकों को आजाद घोषित कर, लुहांस्क देश की स्थापना का ऐलान किया था. रुस के अलावा बेलारुस और वैनेजुएला जैसे देशों ने भी लुहांस्क को एक राष्ट्र के तौर पर मान्यता दे दी है.


लुहांस्क शहर से बाहर निकलते ही चप्पे-चप्पे पर रुसी सैनिक और रुस समर्थित विद्रोही गुट के हथियाबबंद लड़ाके दिखाई पड़ते हैं. इसी दौरान शहर से बाहर एबीपी न्यूज की टीम यूक्रेन सेना के एक ठिकाने पर पहुंची. अब इस ठिकाने पर लुहांस्क विद्रोहियों का कब्जा है. विद्रोहियों ने बताया कि इस ठिकाने पर यूक्रेन के सैनिक अमेरिकी और दूसरे यूरोपीय देशों के रॉकेट लॉन्चर और दूसरे हथियार इस्तेमाल करते थे. कुछ हथियार तो ब्रॉन्ड न्यू थे. ऐसा लगता था कि पश्चिमी देशों ने इन रॉकेट लॉन्चर्स को रुस से जंग शुरु होने के दौरान ही मुहैया कराया था. लेकिन यूक्रेनी सैनिक इन हथियारों का ज्यादा इस्तेमाल नहीं कर पाए और रुसी सेना के खौफ से हथियार यहीं छोड़कर भाग खड़े हुए.


यूक्रेनी सेना के भागने के पीछे की क्या है वजह?


एबीपी न्यूज की टीम जब इस ठिकाने पर पहुंची तो यहां यूक्रेन का नीला और पीला झंडा उल्टा-सीधा लटका हुआ था. एम्युनिशन बॉक्स यानि गोला-बारुद के खाली बक्से भी यहां बड़ी तादाद में पड़े हुए थे. आशंका इस बात की भी जाहिर की गई कि यूक्रेन की सेना का रुसी सेना से मुकाबले के दौरान गोला-बारुद खत्म हो गया था, इसीलिए यूक्रेनी सैनिक मैदान छोड़कर भाग खड़े हुए थे. लुहांस्क के एक बड़े हिस्से पर कब्जे के बावजूद रुस समर्थित मिलेशिया यहां अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटी है. चप्पे-चप्पे पर विद्रोही सदस्यों के साथ साथ रुस की 'जेड' (Z) निशान वाली गाड़ियां भी चारों तरफ दिखाई पड़ती हैं. इसको अलावा रुसी सैनिकों ने जगह जगह अपने बंकर और ट्रैंच यानि खंदक बनाई हुई हैं ताकि जरुरत पड़ने पर यहां से यूक्रेन की सेना का मुकाबला किया जा सके. एक ऐसे ही बंकर में एबीपी न्यूज की टीम ने भी मुआयना किया, जो जमीन में एक बड़ा सा गढ्ढा बनाकर तैयार किया गया था. उसपर एक कैमोफ्लाल जाल भी लगाया हुआ था.


रूसी हमले में यूक्रेन के सैन्य ठिकाने और फ्यूल डिपो बर्बाद


बता दें कि पिछले 50 दिनों से चल रही जंग में रुसी सेना ने यूक्रेन की सेना को बड़ा नुकसान पहुंचाया है. यूक्रेन की पूरी सेना, सैन्य ठिकाने, एम्युनिशन स्टोर और फ्यूल डिपो लगभग बर्बाद हो चुके हैं. रुसी सेना का दावा है कि पिछले 50 दिनों में यूक्रेन के 130 से ज्यादा एयरक्राफ्ट, 100 हैलीकॉप्टर, करीब 2000 टैंक और बख्तरबंद गाड़ियां सहित डेढ़ हजार (1500) रॉकेट लॉन्चर, मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया गया है. यही वजह है कि जेलेंस्की अमेरिका और इंग्लैंड सहित पश्चिमी देशों से हथियारों का मांग कर रहे हैं. इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने हाल ही में यूक्रेन की राजधानी कीव के दौरे के दौरान जेलेंस्की को 100 मिलियन पॉउंड की सैन्य सहायता देने का वायदा किया था. इस सहायता में 120 इंफेंट्री कॉम्बैट व्हीकल यानि सैनिकों के लिए बख्तरबंद गाड़ियां, स्टारस्ट्रीक एयरक्राफ्ट मिसाइल, एटीजीएम यानि एंटी टैंक गाईडेड मिसाइल और हाई प्रेसिशियन म्युनेशन यानि बम शामिल है.


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