Ukraine Russia War Ground Report:  रूस यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का आज 51वां दिन है. इस दौरान रूस ने यूक्रेन के कई बड़े शहरों को तबाह कर दिया है. दोनों देशों में से कोई भी इस युद्ध में पीछे हटने को तैयार नहीं है. इस बीच ABP एबीपी न्यूज़ पहुचा यूक्रेन के बोरोदियंका. यह यूक्रेन का वह गांव है जिसे रूस ने अपना हेड क्वार्टर बनाया था. हालांकि हैरानी की बात ये है कि युद्ध के दौरान भी बोरोदियंका में लोग अपना घर नही छोड़े और रूस के सामने डटे रहें. रूसी सैनिकों पर यहां के लोगों को बंधक बनाने का आरोप भी है.


बोरोदियंका पहुंचने के साथ ही ABP के संवाददाता को सड़क पर नष्ट रूसी टैंक नजर आया. रूसी सेना ने यहीं अपना बेस बनाया था और सड़कों पर यूक्रेन सेना को रोकने के लिए टैंक लगाए थे. बोरोदियंका गाँव और कस्बे से बहने वाली ज़िदविश नदी पर बने पुल को यूक्रेन की सेना ने क्यो उड़ाया ? 


दरअसल पुल को उड़ाने का कारण है कि रूस की सेना ने बोरोदियंका में कब्जा किया हुआ है. अगर यह ब्रिज होता तो रूस की सेना शहर की ओर तेजी से बढ़ने में कामयाब हो जाती इसलिए खुद यूक्रेन की सेना ने ही इस ब्रिज को उड़ा दिया जिससे रूसी सेना टैंक और आर्टिलरी के साथ आगे नहीं बढ़ सके.


शहर का आंखों देखा मंजर


हमारे संवाददाता के बोरोदियंका में प्रवेश करते ही उन्हें चारो तरफ तबाही और तबाही के मंजर नजर आया. सभी इमारत, सड़क, दुकाने, होटल, व्यवसाय तहस नहस दिख रही थी. यहां इमारतों में आग के निशान, राकेट हमले के बाद जर्जर इमारत, हर जगह गोलियों के निशान काफी आसानी से देखे जा सकते हैं. शहर को रूस सेना ने अघोषित कब्जा कर लिया था. यहां एक कतार से कईं इमारतें मलबे में तब्दील हो गई थी. यहां कुछ लोग भी दिखें जो बचे सामान को जुटाने लौटे है. वह इस सामान को लेकर सुरक्षित जगह जा रहे है. इस इलाके से लोग पलायन कर चुके है और उनके पालतू जानवर सड़को पर भटकते दिखते है. 


इलाके में थी 40 लोगों की मौजूदगी


बोरोदियंका के जिस इलाके में हमारे सांवाददाता पहुचे वहां सिर्फ 40 लोग मौजूद है. यह 40 लोग आस पास के गाँव से मिले राहत सामान के भरोसे खुले आसमान के नीचे है. इनके पास इलाके में ना गैस है, ना बिजली, और ना ही घर. इलाके की बुजुर्ग महिलाएं लकड़ी पर खाना बनाकर आपस मे खाना बांट रही है. 


बुजुर्ग महिला मारिया ने एबीपी न्यूज़ को बताया की, बुजुर्ग होने के कारण वो लोग कहीं नहीं भाग पाए. यहां की युवा पीढी जहां तहां पलायन कर चुकी है. उन्होंने बताया कि रूस ने पहले इलाके में राकेट हमले किए और फिर दाखिल हुए. इलाके में दाखिल होने के दौरान हवाई फायरिंग की गई. लोगो के घरों में घुसे और मोबाइल तोड़ दिया जिससे कोई सूचना, तस्वीर बाहर ना जाए. महिला ने बताया की उनके इलाके में रेप या हत्या की वारदात नहीं हुई. उन्हें यह भी नहीं पता की उनके बच्चे कहा और किस हालात में हैं. 


शहर के महान शख्शियत के स्मारक के चेहरे पर गोली मारी


ABP के रिपोर्टर ने पाया कि रूसी सैनिकों ने इस शहर के महान शख्शियत के स्मारक के चेहरे पर गोली मारी है. युद्ध में प्रतीकों पर भी हमले किए गए हैं. बोरोदियंका के केंद्र में यूक्रेन के महान शख्सियत लेखक और कवि शेवचेंको के स्मारक को भी निशाना बनाया गया है. शेवचेंको के चेहरे पर 3 गोलियां मारी गई है और स्मारक तोड़ा गया है. 


पूरे कस्बे में 1 हजार लोग भी नहीं


लगभग 25 हजार की आबादी वाला बोरोदियंका गांव व कस्बे में इस तरह बर्बादी हुई है कि अब पूरे कस्बे में 1 हजार लोग भी नहीं है. ना गैस , ना बिजली, ना पानी, और 2 से 4 डिग्री की ठंड में खुले आसमान के नीचे लोग रह रहे है. यहां मौजूद बुजुर्गों को देखने वाला कोई नहीं है. बुजुर्ग सायकल पर खाने और पीने का सामान ले जाते नज़र आ जाते है. वहीं यूक्रेन के ग्रामीण इलाके से लोग अपनी गाड़ी में राहत और मदद के सामने लेकर आ रहे है. 


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