Pew Research On India US: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8वीं अमेरिकी यात्रा पर हैं, लेकिन खास बात ये है कि वह पहली बार स्टेट विजिट पर वहां पहुंचे हैं. इससे पहले सिर्फ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan singh) 2009 में अमेरिकी राष्‍ट्रपति के न्योते पर 'स्टेट विजिट' पर गए थे. अधिकतर लोग जहां PM मोदी की इस यात्रा को भारत (India) के लिए फलदायी मान रहे हैं, वहीं, PM मोदी की पार्टी के ही एक वरिष्‍ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) का कहना है कि PM मोदी खाली हाथ दिल्ली लौटेंगे. स्वामी ने आज ट्वीट कर प्यू रिसर्च सेंटर (Pew Research Center) की एक रिपोर्ट को शेयर किया.


प्यू रिसर्च की रिपोर्ट में बताया गया कि अधिकतर अमेरिकी आमतौर पर भारत को अनुकूल मानते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही लोगों को नरेंद्र मोदी पर यकीन है. 20-26 मार्च, 2023 को किए गए प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वे के अनुसार, अमेरिका में कई लोगों ने मोदी के बारे में कभी सुना तक नहीं है. और, जिन लोगों ने इस भारतीय नेता के बारे में सुना है, वे मानते हैं कि उनमें आत्मविश्वास की कमी है. प्यू रिसर्च के मुताबिक, आधे से अधिक अमेरिकी वयस्कों (51%) का भारत के प्रति दृष्टिकोण अनुकूल है, जबकि उससे कुछ ही कम लोगों का दृष्टिकोण (44%) प्रतिकूल है.




अमेरिकियों की राय पर प्यू रिसर्च का चौंकाने वाला सर्वे
पीएम मोदी और भारत के बारे में अमेरिकियों की राय पर सर्वे के आंकड़े जारी करते हुए प्यू रिसर्च ने लिखा कि शैक्षिक उपलब्धि के आधार पर लोगों का दृष्टिकोण थोड़ा भिन्न होता है, जैसे- स्नातक या उच्चतर डिग्री वाले 55% अमेरिकी भारत को सकारात्मक रूप से देखते हैं, जबकि कुछ कॉलेज या उससे कम शिक्षा वाले 50% लोग भी ऐसा ही कहते हैं. डेमोक्रेट और डेमोक्रेटिक-झुकाव वाले निर्दलीय भी अपने रिपब्लिकन और रिपब्लिकन-झुकाव वाले समकक्षों की तुलना (56% Vs 48%) में भारत को अनुकूल रूप से देखने की अधिक संभावना रखते हैं. 






विश्व स्तर पर भारत की स्थिति को देखते हुए, अधिकांश अमेरिकी वयस्कों (64%) का मानना है कि हाल के वर्षों में इस देश का प्रभाव दुनिया में वैसा ही बना हुआ है. वहीं, अन्य 23% का कहना है कि भारत का प्रभाव बढ़ा है, जबकि 11% का कहना है कि उसका प्रभाव कम हो गया है.


महिलाओं की तुलना में पुरुषों को भारत के बारे में ज्‍यादा दिलचस्‍पी
प्यू रिसर्च के मुताबिक, अमेरिका में महिलाओं की तुलना में पुरुषों द्वारा यह कहने की अधिक संभावना है कि भारत का प्रभाव मजबूत हो रहा है, जैसे कि स्नातक की डिग्री या उच्‍च शिक्षा वाले लोगों की तुलना बिना कॉलेज की डिग्री वाले लोगों से की जाती है. और, अमेरिका में पुरुषों के सवाल का जवाब देने की संभावना महिलाओं की तुलना में अधिक होती है. अमेरिकी वयस्क जन जो अंतरराष्ट्रीय समाचारों पर करीब से नजर रखते हैं, उनमें भारत को एक बढ़ती शक्ति के रूप में देखने की संभावना उन लोगों की तुलना में अधिक है जो इसे कम करीब से देखते हैं.




'अधिकांश युवा अमेरिकियों ने मोदी के बारे में कभी नहीं सुना'
जब पीएम मोदी की बात आती है, तो अमेरिका में एक बड़ा तबका (40%) कहता है कि उन्होंने मोदी के बारे में कभी नहीं सुना है. 30 वर्ष से कम उम्र के अमेरिकियों के विशेष रूप से यह कहने की संभावना है कि वे नहीं जानते कि मोदी कौन हैं (59%). इसकी तुलना में, अमेरिका के 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 28% वयस्क भी ऐसा ही कहते हैं. कम शिक्षा वाले वयस्कों की भी उच्च स्तर की शिक्षा वाले लोगों की तुलना में मोदी के बारे में कभी न सुनने की अधिक संभावना है.



  • जिन लोगों ने पीएम मोदी के बारे में सुना है, उनके अंदर मोदी को लेकर भावना नकारात्मक है. जैसे- वहां 37% लोगों को वैश्विक मामलों के संबंध में पीएम मोदी की क्षमता पर बहुत कम या बिल्‍कुल भरोसा नहीं है, जबकि 21% को उन पर भरोसा है.


ज्‍यादातर अमेरिकियों को नहीं पता भारत का ध्‍वज कैसा है!
प्‍यू रिसर्च सेंटर की 2022 की एक रिपोर्ट में तो ये भी कहा गया कि अमेरिका के लोग भारतीय ध्वज से भी काफी हद तक अपरिचित हैं, यानी उन्‍हें नहीं पता होता कि भारत का राष्‍ट्रीय झंडा कैसा है. अमेरिकियों के अंतरराष्ट्रीय मामलों के ज्ञान का आकलन करने के लिए जब उनके सामने भारत के तिरंगा झंडे की तस्वीर प्रस्तुत की गई, तो केवल 41% अमेरिकी ही उसे पहचान पाए कि ये झंडा भारत का है.


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