क्या प्लाज्मा थेरेपी कोरोना वायरस के मरीजों पर काम करती है? वैश्विक परीक्षण में मध्यम से गंभीर लक्षणों वाले कोरोना मरीजों पर ब्लड प्लाज्मा को जांचा गया. जांच से पता चला कि ये रोगियों की परेशानी को कम करने के लिए बहुत कम है.


क्या प्लाज्मा थेरेपी कोरोना वायरस के मरीजों पर है असरदार?


रॉयटर्स के मुताबिक, स्थिति में कोई बदलाव न होता देख, गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 रोगियों को गहन देखभाल की आवश्यकता में फायदा न पहुंचने पर नामांकन रोक दिया गया है. REMAP-CAP अंतरराष्ट्रीय परीक्षण है जिसमें वायरस के संभावित इलाज को तलाशा जा रहा है. परीक्षण के हिस्से के तौर पर, उसमें यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के 290 जगहों से 4, 100 कोरोना वायरस मरीजों को भर्ती किया गया था.


परीक्षण से पता चला कि गंभीर रूप से इंटेसिव केयर के जरूरतमंद 900 मरीजों पर एंटीबॉडी से भरपूर प्लाज्मा का असर नहीं हुआ. प्लाज्मा को उन लोगों से लिया गया था जो पहले ही कोरोना वायरस से ठीक हो चुके थे. इलाज ने मरीजों के बीच नतीजों में सुधार नहीं किया. परीक्षण कर रहे वैज्ञानिकों ने बयान में कहा, "प्लाज्मा थेरेपी देने से संबंधित किसी तरह के नुकसान का सबूत नहीं है और परीक्षण में मध्यम लक्षण वाले अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के मरीजों का नामांकन जारी है लेकिन इंटेसिव केयर वालों को भर्ती नहीं किया जा रहा है."


गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 मरीजों को नहीं मिली मदद


ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने बताया, "ये जैविक रूप से प्रशंसनीय है कि कॉन्वालेसंट प्लाज्मा थेरेपी के वक्त एंटीबॉडीज का उत्पादन नहीं करनेवाले और अतिरिक्त वायरस वाले मरीज दूसरों के मुकाबले ज्यादा फायदा उठा सकते हैं. हमारे अतिरिक्त विश्लेषण से इसका पता चलेगा. उन्होंने आगे बताया कि शुरुआती विश्लेषण में कम गंभीर बीमारी वाले अस्पताल में भर्ती मरीजों पर प्लाज्मा के प्रभावों का मूल्यांकन नहीं किया गया. ये 'बहुत अहम सवाल बन जाता है' और परीक्षण से पता लगाया जाना जारी रहेगा.


गौरलतब है कि दुनिया भर में संक्रमण के फैलाव को सीमित करने और मृत्यु दर को काबू करने के लिए सरकारों ने प्लाज्मा थेरेपी तकनीक को अपनाया है. लेकिन फिर भी, वैज्ञानिकों को प्लाज्मा इलाज से जुड़े किसी नुकसान का सबूत नहीं मिला. कॉन्वालेसंट प्लाज्मा थेरेपी देने के पीछे बुनियादी तर्क है. तर्क के मुताबिक ठीक हो चुके मरीजों की एंटीबॉडीज का इस्तेमाल कोविड-19 मरीजों के लिए संभावित इलाज हो सकता है. एंटी बॉडीज प्रभावी तरीके से वायरस को निष्क्रिय कर सकती है. जिससे वायरस का नकल बनाना और टिश्यू को नुकसान पहुंचाना रुक सकेगा, लेकिन प्लाज्मा थेरेपी तकनीक में मृत्यु दर घटाने की संभावना बहुत कम है.


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