पाकिस्तान में सीपैक यानि चीन-पाकिस्तान इकनोमिक कोरिडोर में काम करने वाले चीनी नागरिक इतने भयभीत हैं कि कंधे पर एके-47 राइफल लेकर काम कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर चीनी नागरिकों की हथियार लिए तस्वीरें वायरल हो रही हैं.


दरअसल, हाल ही में पाकिस्तान में चीन के इंजीनियर्स से भरी बस पर बम से हमला हो गया था, जिसमें चीन के 9 इंजीनियर्स की मौत हो गई थी. उसके बाद से ही चीनी नागरिक पाकिस्तान में डर के माहौल में काम कर रहे हैं.   


पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की हथियार लिए तस्वीरों के बारे में जब एबीपी न्यूज ने भारत की सुरक्षा एजेंसियों से बातचीत की तो उन्होनें इन तस्वीरों की सत्यता के बारे में तो कुछ नहीं बताया, लेकिन इतना जरूर कहा कि 14 जुलाई को पाकिस्तान के ख्बैर-पख्तूनखवां में दामू डैम में काम करने वाले चीनी इंजीनियर्स की एक बस में हुए बम-धमाके के बाद से चीनी नागरिक बेहद भयभीत हैं. खुद चीन ने पाकिस्तान में रहने वाले अपने नागरिकों को बिना किसी कारण के बाहर निकलने पर रोक लगा दी है. यही वजह है कि चीनी इंजीनियर्स कंधे पर एके-47 जैसे हथियार लेकर अपना काम कर रहे हैं.


चीनी इंजीनियर्स को ये हथियार कहां से मिले?


लेकिन सवाल ये भी है कि चीनी इंजीनियर्स को ये हथियार कहां से मिले और आखिरकार पाकिस्तान चीन के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट, सीपैक को सुरक्षा देने में नाकाम क्यों है. इस बारे में भारत के सामरिक जानकार मानते हैं कि सीपैक की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान ने पिछले कुछ सालों में दो बड़ी सैन्य-डिवीजन खड़ी की हैं, जिन्हें स्पेशल सिक्योरिटी डिवीजन (एसएसडी) के नाम से जाना जाता है. दोनों ही डिवीजन में करीब 15-15 हजार सैनिक है. इन डिवीजन के बजट के लिए पाकिस्तान चीन पर निर्भर रहता है. लेकिन पाकिस्तान चीनी इंजीनियर्स और वर्कर्स को फुल-प्रूफ सुरक्षा देने में नाकाम साबित हुआ है.


पुख्ता सूत्रों के मुताबिक, ऐसी भी खबरें हैं कि पाकिस्तान को जो पैसा चीन से एसएसडी के लिए मिला था, उसे चीन ने तोप और युद्धपोत खरीदने में लगा दिया था. इसीलिए चीन अब पाकिस्तान को एसएसडी के लिए पैसा देने में हिचकिचा रहा है. सीपैक प्रोजेक्ट के तहत चीन का करीब 62 बिलियन डॉलर का निवेश पाकिस्तान में लगा है. इन प्रोजेक्टस में ग्वादर बदंरगाह, ग्वादर से लेकर चीन के शिंचयांग प्रांत तक एक्सप्रेस-वे और डैम शामिल हैं.


चीनी नागरिक खुद कंधों पर एके-47 लेकर अपनी सुरक्षा इसलिए कर रहे हैं इसका एक दूसरा बड़ा कारण भी हो सकता है. वो इसलिए क्योंकि पाकिस्तान में कई आतंकी और कट्टरपंथी संगठन सक्रिए हैं. ये संगठन चीनी नागरिकों की पाकिस्तान में मौजूदगी को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं. इसके अलावा शुरूआत में चीनी नागरिकों को पाकिस्तानी सैनिक चौबीसों घंटों सुरक्षा प्रदान करते थे. ऐसे में चीनी


नागरिकों को अपनी प्राईवेसी और खुलकर पाकिस्तान में घूमने में काफी दिक्कतें आती थीं. यही वजह है कि बिना सिक्योरिटी-गार्ड्स के चीनी नागरिक अब अपनी सुरक्षा खुद कर रहे हैं.


चीनी नागरिकों ने अपनी हिफाजत के लिए खरीदे हथियार


एबीपी न्यूज को ये भी जानकारी मिली है की चीनी नागरिकों ने अपनी हिफाजत के लिए ये हथियार पाकिस्तान के ही गैर-कानूनी मार्केट से खरीदे हैं. चीन के इंजीनियर्स बड़ी तादाद में चीन-पाकिस्तान इकनोमिक कोरिडोर (सीपैक) में तैनात हैं. कुछ दिनों पहले सीपैक के तहत आने वाले दामू डैम में कार्यरत चीनी इंजीनियर्स से भरी बस को ख्बैर-पख्तूनख्वां में बम धमाका से उड़ा दिया गया था जिसमें चीन के 09 इंजीनियर्स की मौत हो गई थी. हमले में तीन पाकिस्तानी नागरिक भी मारे गए थे. चीन के नागरिकों को सुरक्षा देने में पाकिस्तान नाकाम हुआ है, इसीलिए चीनी नागरिक खुद अपनी सुरक्षा कर रहे हैं.


सूत्रों की मानें तो ये भी हो सकता है कि चीनी नागरिक जो हथियार लिए हुए हैं वे आतंकी संगठनों से ही लिए हो. क्योंकि अमेरिका के अफगानिस्तान से वापस लौटने के बाद से ही चीन ने तालिबान और हक्कानी-नेटवर्क जैसे आतंकी संगठनों से करीबियां बनानी शुरू कर दी है.


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