Kim Jong un Visit Russia: नॉर्थ कोरिया (North Korea) के तानाशाह किम जोंग उन (Kim jong un) रूस के दौरे पर हैं, जहां उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से रूस के बंदरगाह शहर व्लादिवोस्तोक में मुलाकात की. पूरी दुनिया की नजर उन दोनों की मुलाकात पर थी. हालांकि, इस मुलाकात ने खासकर वेर्स्टन देशों के बीच खलबली जरूर मचा दी है. दोनों देशों के प्रमुखों ने आपसी संबंधों को मजबूत करते हुए दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका को इशारों-इशारों में संदेश देने की कोशिश की है.


रूसी राष्ट्रपति और नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने एक-दूसरे को धन्यवाद किया. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दोनों ने किसी खास मकसद को पूरा करने के लिए मुलाकात की है और वो है नए हथियार सौदे को लेकर चर्चा. हालांकि, इन सभी के बीच किम जोंग उन ने रूसी धरती से अमेरिका को इशारों-इशारों में धमकाते हुए कहा कि हम हमेशा राष्ट्रपति पुतिन और रूसी नेतृत्व के फैसलों का समर्थन करेंगे और साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ाई में हम एक साथ रहेंगे.


किम जोंग उन ने रूस के लिए कहा
किम जोंग उन और पुतिन के मुलाकात एक ऐसे समय में हुई है, जब दोनों देश अपने-अपने हितों को साधने के लिए वेर्स्टन देशों के खिलाफ प्लान कर रही है. एक और जहां रूस यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ रहा, वहीं दूसरी ओर नॉर्थ कोरिया लगातार साउथ कोरिया और जापान को उकसाने की कोशिश में लगा हुआ है. इस कड़ी में दोनों देशों के लिए अमेरिका वो दुश्मन है, जो उनके सामने खड़ा है.


इसी मुलाकात के दौरान रूस और नॉर्थ कोरिया के प्रमुख ने साफ शब्दों में वेर्स्टन देशों के लिए एक संदेश दिया कि वो किसी भी हालत में एक-दूसरे का समर्थन करना नहीं छोड़ेंगे. मुलकात के दौरान किम जोंग उन ने ऐतिहासिक पहलुओं को उजागर करते हुए कहा कि हमारे देश को आज़ाद कराने में सोवियत संघ ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है. हमारी दोस्ती की जड़ें गहरी हैं और अब रूस के साथ संबंधों को मजबूत बनाना हमारे देश के लिए पहली प्राथमिकता हैं.


व्लादिमीर पुतिन ने किम जोंग का किया स्वागत
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी किम जोंग की प्रशंसा करते हुए कहा कि मुझे रूस में आपको फिर से देखकर बहुत खुशी हो रही है. हमारी मुलाकात बहुत ही विशेष समय पर हो रही है. इस साल हमारे देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल भी पूरे हुए हैं. उन्होंने किम जोंग को याद दिलाते हुए कहा की हम ही वो पहले देश थे, जिन्होंने सबसे पहले संप्रभु स्वतंत्र राज्य डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया को देश की मान्यता दी थी. 


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