French Politics: फ्रांस (France) की प्रधानमंत्री (Prime Minister) एलिजाबेथ बोर्न (Elisabeth Borne) सोमवार को वामपंथी विरोधियों के व्यापक गठबंधन (Left Alliance) द्वारा उनके खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) में आराम से बच गईं. आधिकारिक मतगणना के मुताबिक 146 सांसदों ने प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया. जबकि प्रस्ताव के स्वीकार किए जाने के लिए  289 मतों के पूर्ण बहुमत की आवश्यकता थी. बता दें फ्रांस में केवल एक बार 1962 में अविश्वास प्रस्ताव को सफलता मिली थी.


हालांकि इस प्रस्ताव को सांसदों द्वारा न के बराबर थी लेकिन प्रस्ताव के जरिए वाम गठबंधन ‘नुप्स’ सरकार और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron') की आर्थिक नीतियों के प्रति अपना विरोध जताना चाहता था. साथ ही यह संदेश भी देना चाहता था मैक्रों के लिए आगे की राह आसान नहीं है.


नुप्स गठबंधन को भी लगा झटका
नुप्स गठबंधन के लिए भी सबकुछ सही नहीं रहा हैं. यह गठबंधन 151 सांसदों से मिलकर बना है, इसका मतलब है कि उनमें से पांच ने अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान नहीं करने का फैसला किया. यह बोर्न और उनकी सरकार के लिए सकारात्मक संकेत माना जा सकता है.


अविश्वास प्रस्ताव राजनीति से प्रेरित
इससे पहले प्रधानमंत्री ने वोटिंग से ठीक पहले संसद में कहा, "हमें उन मुद्दों पर बहस करनी चाहिए जिनका सामना फ्रांसीसी कर रहे हैं, यह अविश्वास मत अनुचित है",  उन्होंने कहा, "यह अविश्वास मत सिर्फ राजनीतिक रणनीति है (...) आइए हम एक साथ समझौता करने की संस्कृति की ओर बढ़ें."


अपने पहले जनादेश (Mandate) के दौरान निचले सदन (Lower House) में एक आरामदायक बहुमत (Majority) का आनंद लेने के बाद, नव-निर्वाचित मैक्रों ने जून के विधायी चुनावों में संसद में अपना पूर्ण बहुमत खो दिया.


यह भी पढ़ें:


Sri Lanka Crisis: लोगों की मुसीबत नहीं हो रहीं कम, लकड़ी जलाकर बना रहे खाना, देश में नहीं मिल रहा गैस सिलेंडर


Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में राजनीतिक संकट के बीच क्या भारत सरकार भेज रही सेना? जानें इंडियन हाई कमिशन का जवाब