पहली बार कोविड-19 के खिलाफ सुरक्षा पाए अमेरिकी मरीजों पर नजर रखने वाले नए मोबाइल टूल को निशाना बनाया जा सकता है. V-SAFE नामी स्मार्टफोन टूल को सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने विकसित किया है. नई तकनीक की मदद से पहली कोविड-19 वैक्सीन लेनेवाले अमेरिकी नागरिकों का पता लगाया जा सकेगा. ये टेक्स्ट मैसेज और वेब सर्वे का इस्तेमाल करेगी.


हैकर कर सकते हैं V-SAFE स्मार्टफोन टूल से छेड़छाड़


मरीज पहले टीकाकरण के होनेवाले साइड इफेक्ट्स या लक्षण की रिपोर्ट कर सकते हैं. लेकिन वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय और प्रांतीय अधिकारियों ने चिंता जताई है कि हैकर सीडीसी के सिस्टम से छेड़छाड़ कर रिपोर्ट को डोज की सुरक्षा के बारे में झूठी और भ्रामक सूचना के लिए इस्तेमाल कर कर सकते हैं. पूर्व में वैक्सन संकोच को विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से वैश्विक स्वास्थ्य का एक प्रमुख खतरा बताया जा चुका है.


कोविड-19 वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स पर रहेगी नजर


हैकर बड़े पैमाने पर ऑनलाइन और सोशल मीडया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल फर्जी और भ्रामक सूचना को फैलाने के लिए करेंगे. जिससे भविष्य में कोविड-19 के प्रसार को काबू करने के लिए वैक्सीन को लॉंच करने के प्रयास को विफल किया जा सके. सेंटर फोर काउंटरिंग डिजिटल हेट की रिपोर्ट में पाया गया कि 31 मिलियन लोग फेसबुक पर एंटी वैक्सीन ग्रुप को फॉलो करते हैं और करीब 17 मिलियन लोग यूट्यबू पर इस तरह के चैनल के सब्सक्राइबर है. इन अकाउंट्स के जरिए कोविड-19 वैक्सीन के बारे में साजिश के सिद्धांत फैलाए जा रहे हैं.


साजिश के सिद्धातों में से एक ये है कि डोज ऑटिज्म (मानसिक) बीमारी का कारण बनेगा और खुराक इस्तेमाल करनेवाला बांझ हो जाएगा. अब, स्वास्थ्य और तकनीक के विशेषज्ञों को डर है कि हैकर कोविड-19 वैक्सीन की खुराक मिलने के बाद लोगों को साइड इफेक्ट्स के बारे में गलत रिपोर्ट फैलाएंगे. हालांकि, V-SAFE स्मार्टफोन टूल के सुरक्षित होने का दावा किया गया है. वैक्सीन लेने के बाद मरीजों को V-SAFE का उपयोग करने के लिए क्यूआर कोड दिया जाएगा. टीकाकरण के बाद पहले सात दिनों तक उन्हें रोजाना मैसेज मिलेगा और फिर डेढ़ महीने पर साप्ताहिक.


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