Netaji Subhas Chandra Bose Remains: भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhas Chandra Bose) की देशभक्ति आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. हर भारतीयों में आजादी का जोश भरने वाले नेताजी की मौत आज भी एक रहस्य बनी हुई है. जापान (Japan) से सुभाष चंद्र बोस का गहरा नाता रहा है और बताया जाता है कि आज भी यहां के एक मंदिर में उनकी अस्थियों को सुरक्षित रखा गया है. 


18 अगस्‍त 1945 को ताइवान में हुए एक विमान हादसे में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का निधन हो गया था. कहा जाता है कि जापान का रेकोंजी मंदिर (Renkoji Temple) में आज भी नेताजी को श्रद्धांजलि दी जाती है.


नेताजी की मौत का रहस्य


भारतीय स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 23 जनवरी को 126वीं जयंती पर उनके योगदान को याद किया. नेताजी की मृत्यु भारत में सबसे चर्चित और रहस्यमय मौतों में से एक है, जिसने 1945 में उनके लापता होने के बाद उनके संभावित अस्तित्व से संबंधित कई विचारों को जन्म दिया. नेताजी का परिवार लगातार उनकी मौत के रहस्य को खत्म करने की मांग करता रहा है. 


अस्थियों के डीएनए परीक्षण की मांग


पिछले साल उनकी बेटी अनीता बोस फाफ (Anita Bose Pfaff) ने जापान के टोक्यो में रेंकोजी मंदिर में अस्थियों के डीएनए परीक्षण की मांग की थी. सुभाष चंद्र की बेटी अनीता बोस ने कहा था कि नेताजी की अस्थियां वापस लाना और उनके जीवन से जुड़े रहस्य को सुलझाना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी. उन्होंने कहा था कि नेताजी की बेटी होने के नाते मैं चाहती हूं कि यह रहस्य मेरे जीवनकाल में ही खत्म हो जाए.


कैसे हुई थी मौत?


अनीता बोस ने कहा था कि 77 साल बीत जाने के बाद भी रहस्य से पर्दा नहीं उठा. उन्होंने ये भी कहा था, ''यह मेरे लिए कोई रहस्य नहीं है क्योंकि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि उनकी मृत्यु हवाई दुर्घटना में हुई थी. लेकिन, मैं चाहती हूं कि उनकी अस्थियां उनकी मातृभूमि पर वापस लाई जाएं और मैं अपने पिता के लिए ये सेवा करना चाहती हूं.''


क्या रेंकोजी मंदिर में रखी हैं अस्थियां?


अनीता बोस का कहना था कि जिन लोगों को अभी भी संदेह है कि नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को हुई थी या नहीं, यह वैज्ञानिक प्रमाण प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है कि टोक्यो में रेंकोजी मंदिर में रखे अवशेष उनके हैं. 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद से नेताजी के लापता होने के रहस्य को सुलझाने के लिए भारत सरकार की ओर से तीन जांच आयोगों का गठन किया गया.


कांग्रेस सरकार की ओर से दो जांच आयोग गठित किया गया था. कांग्रेस शासन में गठित शाह नवाज आयोग और खोसला आयोग ने निष्कर्ष निकाला था कि नेताजी की मृत्यु एक हवाई जहाज दुर्घटना में हुई थी. वहीं, तीसरे और अंतिम आयोग बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की ओर गठित किया गया था. जस्टिस मुखर्जी आयोग ने कहा था कि नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी.


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