नेपाल में केपी ओली के खिलाफ Gen-Z आंदोलन मंगलवार (9 सितंबर 2025) को उग्र हो गया. उपद्रवियों ने देशभर में ऐसी तबाही मचाई, जिसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी. युवाओं के आक्रोश के सामने केपी ओली को झुकना पड़ा और राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंपना पड़ा. इस हिंसक प्रदर्शन में नेपाल का इतना नुकसान हुआ जितना 2015 के भूकंप में भी नहीं हुआ था.

उपद्रवियों ने होटल हिल्टन में लगाई आग

काठमांडू समेत नेपाल का दूसरा शहर हिंसा की आग में जलने के बाद विरान पड़ा है. Gen-Z आंदोलन की जद में काठमांडू का सबसे ऊंचा होटल भी आ गया. उपद्रवियों ने होटल हिल्टन में आग लगा दी. यह 5 स्टार होटल जुलाई 2024 में बनकर तैयार हुआ था. इसे बनाने में करीब 500 करोड़ (5 अरब) भारतीय रुपये खर्च हुए. सभी आधुनिक सुविधा वाले इस होटल में ही अधिकतर विदेश टूरिस्ट ठहरते थे.

सुप्रीम कोर्ट, सिंह दरबार को भी फूंका

प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती का उल्लंघन करते हुए आगजनी की और विभिन्न प्रमुख इमारतों और प्रतिष्ठानों पर धावा बोला. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट, सिंह दरबार (मंत्रियों का ऑफिस), राष्टपति आवास, केपी ओली का निजी आवास समेत पूर्व प्रधानमंत्रियों और कई मंत्रियों के घरों में आग लगा दी. हालात ये हो गई कि नेताओं को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा.

बीमा कंपनी को हो सकता है नुकसान

नेपाल इंश्योरेंस एसोसिएशन (NIA) की मानें तो जिस तरह से देशभर में हिंसा हुई है उससे बीमा कंपनी को करीब 3100 करोड़ (31 अरब) भारतीय रुपये से अधिक के क्लेम का सामना करना पड़ सकता है. यह नुकसान नेपाल में 2025 में आए भूकंप से करीब तीन गुना ज्यादा है. नेपाल इंश्योरेंस एसोसिएशन और नेपाल राष्ट्र बैंक मिलकर हिंसा में हुए नुकसान का आकलन कर रही है. उपद्रवियों ने भाटभटेनी सुपरमार्केट, सीजी इलेक्ट्रॉनिक्स, ग्लोबल कॉलेज, सेंट्रल बिजनेस पार्क जैसे इंडस्ट्री को भी फूंक डाला. इस बार बीमा कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

ओली के इस्तीफे से कुछ घंटे पहले, प्रदर्शनकारियों ने बालकोट में उनके निजी आवास में आग लगा दी. उपद्रवियों ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचंड, पूर्व संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग, पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के आवासीय परिसरों पर हमला किया.

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