NASA Voyager-2: अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA का अंतरिक्ष में खोए अपने स्पेसक्राफ्ट से कॉन्टैक्ट हो गया है. इस तरह NASA ने अब जाकर राहत की सांस ली है. दरअसल, वॉयजर-2 स्पेसक्राफ्ट से 21 जुलाई से ही NASA का संपर्क टूट गया था. इस बात की उम्मीद बहुत कम थी कि एक बार फिर से स्पेसक्राफ्ट से संपर्क किया जा सकेगा. इसकी मुख्य वजह ये थी कि पृथ्वी से वॉयजर-2 की दूरी 19.9 अरब किलोमीटर है. फिलहाल ये हमारे सौरमंडल के बाहर आउटर स्पेस में चक्कर लगा रहा है. 


नासा के वैज्ञानिक पृथ्वी से ही वॉयजर-2 को ऑपरेट करते हैं. 1977 में लॉन्च हुए इस स्पेसक्राफ्ट को ऑपरेट करते वक्त एक गलत कमांड के चलते संपर्क टूटा. कमांड की वजह से स्पेसक्राफ्ट ने अपने एंटीना को दो डिग्री घुमाया और फिर ये लापता हो गया. हालांकि, मंगलवार को इसके मिलने की खबरें आईं, जब एक हल्का सिग्नल स्पेस से पृथ्वी तक पहुंचा. लेकिन फिर पृथ्वी से वॉयजर-2 से संपर्क करने के लिए 'इंटरस्टेलर शाउट' यानी एक शक्तिशाली कमांड भेजी गई और जिससे संपर्क स्थापित हुआ. 


46 साल पुराना है वॉयजर-2 स्पेसक्राफ्ट


दरअसल, अक्टूबर में ऑटोमैटिकली वॉयजर-2 अपने एंटीना को सीधा करने वाला था. यही वजह थी कि NASA ये मानकर चल रहा था कि अक्टूबर से पहले स्पेसक्राफ्ट से कॉन्टैक्ट नहीं हो पाएगा. हालांकि, 'इंटरस्टेलर शाउट' के भेजने के 37 घंटे बाद मिशन कंट्रोलर्स ने बताया कि पृथ्वी से अरबों किलोमीटर दूर स्पेस में लापता हुए 46 साल पुराने वॉयजर-2 स्पेसक्राफ्ट से संपर्क हो गया है. 


वॉयजर-2 के प्रोजेक्ट मैनेजर सुजैन डॉड ने समाचार एजेंसी एएफपी से बताया कि स्टाफ ने स्पेसक्राफ्ट को सबसे शक्तिशाली ट्रांसमीटर के जरिए मैसेज भेजा. इसके लिए सबसे बेहतरीन परिस्थितियों का इंतजार किया गया, ताकि जब कमांड भेजा जाए, तो वॉयजर-2 अपने एंटीना को सीधा कर पृथ्वी से संपर्क कर सके. संपर्क टूटने के बाद से ही वॉयजर से किसी भी तरह का डाटा नहीं मिल रहा था.


सौरमंडल के भी पार मौजूद है स्पेसक्राफ्ट


स्पेस एजेंसी ने इस बात की पुष्टि की है कि दो हफ्ते बाद एक बार फिर वॉयजर-2 से डेटा मिलने लगा है. स्पेसक्राफ्ट सामान्य तौर पर ऑपरेट कर रहा है. नासा ने उम्मीद जताई है कि जिन साइंस इंस्टूमेंट्स के साथ वॉयजर-2 को मिशन के लिए भेजा गया है, उसे ये एक बार फिर से पूरा करने में जुटा रहेगा. वॉयजर-2 हीलियोस्फेयर के पार ऑपरेट कर रहा है. ये हमारे सौरमंडल के भी पार का इलाका है. इतनी दूर तक जाने वाला वॉयजर-2 इंसान का बनाया दूसरा स्पेसक्राफ्ट है, पहला स्पेसक्राफ्ट वॉयजर-1 है, जो 2012 में यहां पहुंचा था. 


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