Israel Palestine Conflict: इजरायल पिछले हफ्ते से हमास के खिलाफ गाजा में जमीनी हमले की तैयारी कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, 13 अक्टूबर को इजरायली सेना ने 24 घंटे में भीतर उत्तरी गाजा से 1.1 मिलियन (11 लाख) फलस्तीनियों को जगह छोड़कर दक्षिणी गाजा में चले जाने का निर्देश दिया था. इसके बाद से बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे हैं. उधर, गाजा सीमा से लगे दक्षिणी इजरायल के हिस्से में 30,000 से ज्यादा इजरायली सैनिक मोर्चा संभाल चुके हैं, जिनमें से कम से कम 10,000 जवान गाजा में दाखिल होंगे. 


इजरायली टैंक और बख्तरबंद वाहन सीमा पर तैनात हो रहे हैं. इजरायली रक्षा बल (IDF) पहले ही ऐलान कर चुका है कि वो जमीन, हवा और समुद्र के माध्यम से गाजा में हमास के खिलाफ एकीकृत और समन्वित हमले के लिए पूरी तरह से तैयार है और उसके जवान अंतिम आदेश का इंतजार कर रहे हैं.


हालांकि, इजरायली वायु सेना के लड़ाकू विमान जंग के ऐलान के बाद से लगातार गाजा में हमास के ठिकानों को निशाना बनाकर बम बरसा रहे हैं. युद्ध में भारी संख्या में आम लोग मारे जा रहे हैं. मंगलवार (17 अक्टूबर) रात हमास ने दावा किया करीब साढ़े 10 बजे इजरायल ने गाजा पट्टी के अस्पताल अल अहली पर हवाई हमला किया, जिसमें करीब 500 लोग मारे गए. दोनों पक्षों के बीच संघर्ष फिलहाल थमता नहीं दिख रहा है. हमास और इजरायल के बीच जंग 12वें दिन में प्रवेश कर गई है.


4,700 से ज्यादा लोग गंवा चुके हैं जान


इस जंग के चलते अब तक दोनों तरफ से मिलाकर 4,700 से ज्यादा लोग जानें गंवा चुके हैं. जंग की शुरुआत उस वक्त हो गई थी जब गाजा पट्टी से चलने वाले चरमपंथी संगठन हमास ने 7 अक्टूबर की सुबह अचानक दक्षिणी इजरायल में घातक हमला किया था और जिसके जवाब में इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्ध की घोषणा कर दी थी. 


नेतन्याहू ने टेलीविजन पर अपने एक संबोधन में कहा था कि हमास के आतंकी जहां घुसे होंगे, इजरायल वहां पहुंचेगा. उन्होंने हमास को खत्म करने की कसम खाई थी.  इधर, मंगलवार (17 अक्टूबर) को इजराइली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने चेतावनी दी कि हमास के पास दो ही विकल्प हैं, या तो उसके सदस्य जहां हैं वहीं मर जाए या सरेंडर कर दें. उन्होंने हमास के लिए कोई तीसरा विकल्प उपलब्ध नहीं होने की बात भी कही. 


आखिरी बार 2014 में इजरायल ने 'ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज' के तहत गाजा में अपनी सेना भेजी थी. पिछले अनुभव के बावजूद इजरायल गाजा के घने शहरी इलाके में हमास खिलाफ कई चुनौतियों का सामना करेगा. गाजा में जमीनी हमले में इजरायल के लिए क्या दिक्कतें और चुनौतियां आएंगी, आइये जानते हैं.


गाजा का इलाका और लोगों को निकालने की इजरायल की रणनीति


गाजा पट्टी का इलाका 140 वर्ग मील में फैला है, जो 2 मिलियन (20 लाख) से ज्यादा लोगों का घर है. धरती पर यह सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में एक है. खचाखच भरे शहरी इलाके में सेना उतारना जोखिम से भरा होगा.


अनुमान के मुताबिक, जमीनी लड़ाई में भारी संख्या में आम लोगों के मारे जाने की आशंका है. इसलिए इजरायल नागरिकों को तंग इलाकों को खाली कर देने की चेतावनी देने के लिए कई रणनीतियां अपना रहा है. उसकी ओर से पूरी तरह से हमला किए जाने पहले कई इमारतों पर कम क्षमता वाले बम गिराए जा रहे हैं. स्थानीय लोगों को फोन कॉल या टेक्स्ट मैसेज के जरिये चेतावनी दी जा रही है कि वे सुरक्षित इलाकों में चले जाएं.


गाजा पर इजरायल पूरी तरह से नाकाबंदी भी लागू कर चुका है. बिजली, पानी और ईंधन काट दिया गया है. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग हताहत हो रहे हैं और एयरस्ट्राइक के कारण जगह-जगह इमारतों का मलबा तबाही की तस्वीरें पेश कर रहा है.


गाजा में जमीनी हमले में इजरायल के सामने क्या चुनौतियां आएंगी?


इसमें कोई शक नहीं है कि गाजा में इजरायल के जमीनी हमले में हमास के और ज्यादा सदस्य मारे जा सकते हैं लेकिन भीड़-भाड़ वाले इस इलाके में होने वाली लड़ाई में कहीं ज्यादा लोगों के हताहत होने का खतरा है, जिसमें नागरिक और सैनिक दोनों शामिल होंगे.


2014 में गाजा में इजरायल की ओर से चलाए गए ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज के तहत जमीन और हवा से किए गए हमलों में 2,000 से ज्यादा फलस्तीनी मारे गए थे. सात हफ्ते चले युद्ध में इजराइल को भी नुकसान उठाना पड़ा था.


संकरी गलियों और इमारतों के मलबे से खड़ी होगी मुसीबत!


अगर इजरायल अपने लड़ाकू हेलीकाप्टरों के जरिये पैदल सेना को गाजा में प्रवेश कराता है तो यह शहरी युद्ध समुद्र तटीय क्षेत्र की संकरी गलियों में भयंकर रूप में छिड़ जाएगा क्योंकि यहां इजरायल की प्रति वर्ग किलोमीटर 400 लोगों की आबादी की तुलना में 5,500 लोग प्रति वर्ग किलोमीटर में बसे हैं. इतनी बड़ी आबादी के लिए जगह की कमी के कारण इमारतें घनी खड़ी हैं.


कहीं-कहीं सड़कें बेहद संकरी हैं. इजरायली वायु सेना की एयरस्ट्राइक के चलते पहले ही कई इमारतों का मलबा फैला पड़ा है, जिसकी वजह से जमीनी सैनिकों के इस्तेमाल में आने वाले वाहनों (आईएफवी) और टैंकों के लिए गाजा में नेविगेट करना मुश्किल होगा.


स्नाइपर हमलों का रहेगा जोखिम  


छोटी जगहों पर बूबी ट्रैप (किसी चीज में छिपाई गई मारने वाली डिवाइस) इजरायली सैनिकों के लिए जोखिम भरे होंगे जिन्हें उन्हें वेरिफाई करना होगा, बेअसर और साफ करना होगा. वहीं, गाजा पट्टी की छोटी, अंधेरी खिड़कियों वाली ऊंची इमारतों के चक्रव्यूह से किसी भी दिशा से इजरायली सैनिकों पर स्नाइपर हमलों का जोखिम भी रहेगा, जिनसे उन्हें निपटना होगा.


सीरिया और यूक्रेन की जंग से पता चलता है ये जोखिम


सीरिया और यूक्रेन की जंग से पता चलता है कि एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों और रॉकेट चालित ग्रेनेड (RPGs) के इस्तेमाल से छोटी टीमें बड़ी मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री फोर्स (मशीनीकृत पैदल सेना) को बुरी तरह नुकसान पहुंचा सकती हैं. इजरायली सैनिकों के सामने भी यह मुसीबत आ सकती है.


हेलीकॉप्टरों के जरिये सैनिकों को शामिल करना रहेगा जोखिम भरा?


हेलीकॉप्टरों के जरिये सैनिकों को जंग में शामिल करना इजरायल के लिए इसलिए भी जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि हमास के पास मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) हो सकता है. अगर ये हेलीकॉप्टर बहुत नीचे उड़ते हैं तो अनगाइडेड रॉकेट चालित ग्रेनेड उनके लिए खतरनाक हो सकते हैं क्योंकि 1993 में सोमालिया में ऐसा देखा गया था जब मोगादिशू की लड़ाई में घनी आबादी वाले शहर के ऊपर उड़ान भरते समय दो अमेरिकी हेलीकॉप्टरों को मार गिराया गया था. मीडिया ने इस घटना को 'ब्लैक हॉक डाउन' कहा था.


पूर्व अमेरिकी राजदूत ने बताया तुरंत जमीनी हमले के लिए आगे न बढ़ने कारण


2001 से 2005 तक इजरायल में अमेरिकी राजदूत रहे डैनियल कर्टजर ने सोमवार (16 अक्टूबर) को सीएनबीसी के साथ बातचीत में इजरायल की ओर से किए जाने वाले जमीनी हमले को लेकर कई अहम बातें कही थीं.  डैनियल कर्टजर के मुताबिक, जमीनी हमले के दौरान इजरायल को जिस प्रमुख चुनौती का सामना करना पड़ेगा वो गाजा में सुरंगों से निकलने वाले घात और हमास के लड़ाके होंगे.


उन्होंने ऐसी संभावना भी जताई थी कि इजरायल का जमीनी हमला एक पूर्ण पैमाने पर किए जाने वाले आक्रमण की बजाय चरणों में किया जाने वाला अटैक भी हो सकता है. कर्टजर फिलहाल प्रिंसटन विश्वविद्यालय में मध्य पूर्व नीति अध्ययन के प्रोफेसर हैं. उन्होंने कहा था कि इजरायल के तुरंत जमीनी हमले के लिए आगे न बढ़ने के परिचालन (ऑपरेशनल) संबंधी कुछ कारण हैं.


जमीनी हमले में इजरायल को कैसा जवाब दे सकता है हमास?


इजरायल के जमीनी हमले में हमास कैसा जवाब देगा, यह भी देखने वाली बात होगी. 7 अक्टूबर को दक्षिणी इजरायल पर किया गया हमास का अचानक और घातक हमला एक ऐसे समूह की ओर इशारा करता है जिसने इजरायली सेना से लड़ने के वर्षों के अनुभव से खुद को काफी मजबूत बनाया है और एक स्तर की अनुकूलता हासिल की है. हमास गुरिल्ला युद्ध रणनीति पर अमल कर सकता है जो जमीनी हमले के दौरान इजरायली सैनिकों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.


वहीं, पिछले वर्षों में हमास ने अनुभवी लड़ाकू गुर्गों की इकाइयां विकसित की हैं. हमास की विशेष 'नुखबा' फोर्स ने पिछले हफ्ते घातक हमला कर इजरायल की उच्च तकनीक वाली आयरन वॉल को उड़ा दिया था. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के अनुमान के मुताबिक, हमास की इस यूनिट में 15 से 20 हजार लड़ाके हैं जबकि इजरायल लड़ाकों की संख्या ज्यादा बताता है जोकि 30,000 के आसपास हो सकती है.


हमास के पास रॉकेट-मोर्टार का बड़ा जखीरा!


गाजा में हमास के पास स्थानीय रूप से निर्मित रॉकेट और मोर्टार का एक बड़ा जखीरा है. इजरायली सेना का कहना है कि जंग शुरू होने के बाद उसकी ओर 5,000 से ज्यादा मिसाइलें दागी जा चुकी हैं. 2021 में इजरायली इंटेलिजेंस ने अनुमान लगाया था कि गाजा में हमास और एक अन्य सक्रिय समूह इस्लामिक जिहाद के पास करीब 30,000 मिसाइलें हैं. यह भी माना जाता है कि हमास के पास इजरायली जंगी टैंकों का सामने करने के लिए कोर्नेट एंटी-टैंक मिसाइलों का एक बड़ा जखीरा है.


वहीं, कुछ वीडियो में हमास ने पिछले हफ्ते इजरायल पर हमले में ग्रेनेड गिराने वाले ड्रोन के इस्तेमाल को भी दिखाया है, जो यूक्रेन में रूसी सेना की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रोन के जैसा था.


कैसा है हमास का सुरंगों का नेटवर्क?


हमास ने गाजा में 2007 में नियंत्रण हासिल किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, गाजा में हमास के पास एक भूमिगत प्रणाली है, जिसमें सुरंगों का जाल बिछा हुआ है. हमास के सुरंगों मजबूत माने जाने वाले नेटवर्क को 'गाजा मेट्रो' भी कहा जाता है. कई सुरंगें कथित तौर पर संचार सिस्टम से लैस हैं.


माना जाता है कि ये सुरंगें हमास के लिए कमांड सेंटर के तौर पर काम कर सकती है ताकि वे सैनिकों पर अचानक हमले की योजना बना सकें, अपनी पोजिशन के बीच तेजी से आगे बढ़ सके और गोलाबारी से बच सकें. भूमिगत मार्गों में हमास के रॉकेट छिपे हो सकते हैं. इजराइल डिफेंस फोर्सेज के मुताबिक, हमास की भूमिगत प्रणाली में इलेक्ट्रिकल जनरेटर, खुफिया कमरे और आपूर्ति होती है.


जमीनी हमले के चलते बंधकों की मौत की भी आशंका


इजरायल के मुताबिक, हमास ने करीब 200 लोगों को बंधक बना रखा है, जिनमें अमेरिका और ब्रिटेन के भी कई नागरिक शामिल हैं. हमास ने पहले ही इजरायल के हमले के जवाब में बंधकों को मारने की धमकी दे चुका है. अगर हमास के नेटवर्क को खत्म करने और उसकी क्षमता को नष्ट करने के लिए इजरायल जमीनी अभियान चलाता है तो बंधकों के लिए जोखिम बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. इजरायल को उन लोगों की जान से हाथ धोड़ा पड़ सकता है.


हमास-इजरायल की 2014 की लड़ाई


8 जुलाई 2014 को गाजा पट्टी में इजरायल ने हमास के खिलाफ सैन्य अभियान (ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज) शुरू किया था. हमास के खिलाफ इजरायल का यह तीसरा युद्ध था. हमास से संबद्ध फलस्तीनी चरमपंथियों की ओर से वेस्ट बैंक में तीन इजरायली किशोरों के अपहरण और हत्या के बाद आईडीएफ ने ऑपरेशन ब्रदर्स कीपर शुरू किया था, जिसमें वेस्ट बैंक में लगभग सभी सक्रिय हमास लड़ाकों समेत लगभग 350 फलस्तीनी गिरफ्तार किए गए थे. इसके बाद हमास ने गाजा पट्टी से इजरायल पर बड़ी संख्या में रॉकेट दागे थे और दोनों पक्षों के बीच जंग सात हफ्ते तक चली थी.


जंग के दौरान गाजा में 2,125 से 2,310 लोग मारे गए थे जबकि 10,626 से 10,895 लोग घायल हुए थे. प्रभावितों में बड़ी संख्या बच्चों की भी थी. तीन हजार से ज्यादा बच्चे घायल हुए थे, जिनमें 1,000 से ज्यादा स्थायी रूप से दिव्यांग हो गए थे. वहीं, इजरायल के 67 सैनिक, 5 नागरिक (एक बच्चे सहित) और एक थाई नागरिक की मौत हुई थी. जंग में 469 इजरायली जवान और 261 नागरिक घायल हुए थे. 


आईडीएफ ने गाजा पट्टी में 5,263 ठिकानों पर हमला किया था, जिसमें कम से कम 34 ज्ञात सुरंगें तबाह हो गई थीं और हमास के 10,000-रॉकेट भंडारों में से दो-तिहाई या तो इस्तेमाल हो गए थे या नष्ट हो गए थे.


इजरायली मिलिट्री ऑपरेशन मकसद गाजा पट्टी से इजरायल में रॉकेट हमले को रोकना था. हमास के हमले इस उद्देश्य से किए गए थे ताकि गाजा पट्टी की इजरायली-मिस्र नाकाबंदी को हटाने के लिए इजरायल पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बने, साथ ही फलस्तीनी राजनीतिक कैदियों को रिहा करवाया जाए. इजरायल का जमीनी हमला 5 अगस्त को समाप्त हुआ था और 26 अगस्त को एक खुले युद्धविराम की घोषणा की गई थी.


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