अफगानिस्तान में तालिबानी युग की वापसी हो गई है. ऐसे में यहां दहशत का माहौल है. तालिबान का कब्जा होने के बाद अफगान के रहने वाले लाखों लोग दूसरे देश में शरण लेकर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं. इनमें हजारों लोग ऐसे हैं जो विदेशी हैं और यहां फंस गए हैं. भारत, अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड समेत कुछ देशों ने अपने लोगों को एयरलिफ्ट कर बुलाना शुरू कर दिया है.


रिपोर्ट के अनिसार, भारत के करीब 500 अधिकारी और सिक्योरिटी से जुड़े लोग अफगानिस्तान में फंसे हुए है.  इनमें करीब 300 लोग देहरादून के रहने वाले हैं. ये पूर्व सैनिक हैं जो वहां के यूरोपियन, ब्रिटिश एंबेसी सहित अन्य जगहों पर सुरक्षा में तैनात थे. हाल ही में करीब 190 भारतीय राजनयिकों, अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों का काबुल से सुरक्षित निकालने में जयशंकर और डोभाल ने अहम भूमिका निभाई है. वहीं अमेरिका ने हाल ही में अपने लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए 5000 सैनिकों को भेजने का फैसला किया है.


अफगानिस्तान की आबादी
रिपोर्ट के अनुसार, अफगानों की कुल संख्या लगभग 33 मिलियन यानी कि 3.3 करोड़ है. इनमें से 3 मिलियन यानी कि 30 लाख लोग अफगान नागरिक शरणार्थियों के रूप में रह रहे हैं. ये लोग पाकिस्तान और ईरान के हैं. यहां की 99 फीसदी आबादी मुस्लिम है. सिर्फ एक फीसदी में हिंदू, यहूदी और क्रिश्चन आते हैं. अफगानिस्तान में हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले बहुत कम लोग हैं. इनकी संख्या कोई 1000 अनुमानित है.


अफगानिस्तान में 22 फीसदी आबादी शहरी है और बाकी बची 78 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. साल 2050 तक देश की आबादी 82 मिलियन यानी कि 8.2 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है. देश की मातृ मृत्यु दर 396 मृत्यु / 100,000 जीवित जन्म है और इसकी शिशु मृत्यु दर प्रति 1000 जन्म पर 53.2 है.


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