Afghanistan Crisis: हक्कानी नेटवर्क के मुखिया सिराजुद्दीन हक्कानी ने अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान में बड़ा इन्वेस्टमेंट किया हुआ है और अपने पावर लाईट हाऊस आईएसआई के इशारे पर उसने अफगानिस्तान में इंटीरियर मिनिस्टर का पद हथियाया है. हक्कानी नेटवर्क इतना पावरफुल हो गया है कि पाकिस्तान और तालिबान दोनों ही उसकी मर्जी के बगैर अपना बेरोकटोक शासन नही चला सकते. इसी पद को हथिया कर ड्रग्स का धंधा भी बेरोकटोक चलाया जा सकता है.


हक्कानी नेटवर्क का मुखिया सिराजुद्दीन हक्कानी, जिसे अफगानिस्तान की सरकार में इंटीरियर मिनिस्टर बनाया गया है, यानी अफगानिस्तान की आतंरिक सुरक्षा के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है. अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसियों की बागडोर भी अमेरिका द्वारा करोड़ों रुपये के घोषित इस इनामी आतंकवादी के हाथ में होगी. हक्कानी को यह पद दिलाने के लिए खुद आईएसआई चीफ अफगानिस्तान पहुंचे थे और उन्होंने बरादर से यह साफ कर दिया था कि यदि बेरोकटोक शासन चलाना है तो हक्कानी को इंटीरियर मिनिस्टर बनाना ही होगा.


खुफिया एजेंसी के एक आला अधिकारी के मुताबिक, हक्कानी को इंटीरियर मंत्री बनाने के पीछे आईएसआई के एक तीर से कई निशाने हैं. मसलन इंटीरियर मिनिस्टर होने के नाते अफगानिस्तान को लेकर सारी खुफिया सूचनाएं हक्कानी के पास होगी और पाकिस्तान को यह भी पता लगता रहेगा कि भारत को लेकर तालिबान के कौन से नेता लचीला रूख अपना रहे हैं. साथ ही, लश्कर और जैश के आंतकियों की बेरोकटोक ट्रेनिंग और आवाजाही अफगानिस्तान में बदस्तूर जारी रहेगी.


खुफिया रिपोर्टो के मुताबिक, हक्कानी ने पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर निवेश भी किया हुआ है और उसने पाकिस्तान खुफिया एजेंसी से आईएसआई से यह आश्वसाशन भी लिया हुआ है कि किसी भी परिस्थिति में उसके परिवार पर कोई आंच नही आयेगी. हक्कानी ऐसा इसलिए कर रहा है कि हक्कानी नेटवर्क में मुखिया पद पर पारिवारिक सदस्य ही बैठ सकता है जैसा कि जलालुद्दीन हक्कानी के बाद सिराजुद्दीन हक्कानी को इस नेटवर्क की कमान सौंपी गई. हक्कानी नाम भी इसीलिए पड़ा कि जलालुद्दीन हक्कानी ने अपनी पढ़ाई दारूल उलूम हक्कानिया से की थी.


अमेरिका की खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट हो या रूस की, सभी में एक मत से यह बात कही गई है कि हक्कानी नेटवर्क नाम के जहाज के लिए उसका पावर लाईट हाऊस शुरू से ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हेडक्वार्टर रहा है. साथ ही, हक्कानी नेटवर्क में 100  में से 95 प्रतिशत सुसाइड बांबर तैयार होते हैं, इसी वजह से हक्कानी नेटवर्क भारत से जातीय दुश्मनी रखता है औऱ उसने अफगानिस्तान में भी भारतीय उच्चायोग पर सुसाइड बाबंर के जरिए हमले किए थे.


खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, हक्कानी नेटवर्क इतना पावरफुल इसलिए भी है कि वह शुरू से ही पाकिस्तान-अफगानिस्तान की सीमा पर खोस्त और पकडिया इलाके पर कंट्रोल किए हुए है औऱ यही वह रास्ता है जहां से पाकिस्तान को यदि 10 रास्ते जाते हैं तो अफगानिस्तान को 11 रास्ते जाते हैं. मतलब यदि कोई मदद अफगानिस्तान को भेजनी है तो इसी रास्ते के जरिए आसानी से भेजी जा सकती है. यहां से काबुल जाने का सबसे छोटा रास्ता भी है और इसी रास्ते के जरिए हक्कानी नेटवर्क काबुल और आसपास फिदायीन हमले कराता रहा है. फिलहाल हक्कानी नेटवर्क के जरिए अब पाकिस्तान अपने हित साधेगा और इसी बात ने रूस को भी चिंता मे डाल दिया है क्योंकि यदि हक्कानी का दखल रूस से लगे देशों मे बढ़ा तो उसकी आंच रूस तक जायेगी.


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