पनडुब्बियों को लेकर अमेरिका और फ्रांस के बीच मतभेद गहराता जा रहा है. अब फ्रांस और ब्रिटेन के रक्षा मंत्रियों की बैठक रद्द हो गई है. दरअसल इंडो-पैसिफिक रीजन की सुरक्षा को लेकर बीते दिनों अमेरिका-ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में एक डील हुई है जिसके तहत अमेरिका और ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया को न्यूक्लियर सबमरीन देने वाले हैं. इसी बात से फ्रांस नाराज है क्योंकि फ्रांस का दावा है कि ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका और ब्रिटेन के साथ पैक्ट के बाद फ्रांस के साथ पनडुब्बी की अरबों रुपये की डील रद्द कर दी है. फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन से मुलाकात में भी इस मुद्दे को उठा सकते हैं.


राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ऑस्ट्रेलिया द्वारा फ्रांस के साथ पनडुब्बी सौदे को अचानक रद्द किए जाने के बाद उनके देश और अमेरिका के बीच पैदा हुए राजनीतिक संकट के मध्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से आने वालों दिनों में बातचीत करेंगे. सरकार के प्रवक्ता गैब्रिएल अटाल ने बताया कि फोन पर बातचीत करने का अनुरोध बाइडेन की तरफ से आया है. उन्होंने कहा कि पहले सब 'स्तब्ध'और 'आक्रोशित'थे लेकिन अब आगे बढ़ने का वक्त है.


क्या है पूरा मामला
दरअसल ऑस्ट्रेलिया ने 12 पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए 2016 में फ्रांस सरकार के स्वामित्व वाली नौसैन्य कंपनी के साथ 90 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (66 अरब डॉलर) का समझौता किया था. अब ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका व ब्रिटेन के साथ परमाणु ऊर्जा चालित आठ पनडुब्बियों के लिए नया समझौता किया है. फ्रांस का कहना है कि उसे इस समझौते के बारे में पहले कुछ नहीं बताया गया. ऑस्ट्रेलिया द्वारा फ्रांस के साथ पनडुब्बी सौदे को अचानक रद्द किए जाने के विरोध में पेरिस ने वाशिंगटन और ऑस्ट्रेलिया से शुक्रवार को अपने राजदूतों को वापस बुला लिया था.


ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने रविवार को कहा, फ्रांस को पता है कि हमारी ‘गहरी और गंभीर चिंता’ थी कि पेरिस जिस पनडुब्बी बेड़े का निर्माण कर रहा था, वह ऑस्ट्रेलियाई जरूरतों को पूरा नहीं कर पाएंगे.


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