France Abaya Ban: फ्रांस (France) की शीर्ष अदालत ने गुरुवार (7 सितंबर) को स्कूलों में मुस्लिम महिलाओं की पहने जाने वाले पारंपरिक ड्रेस अबाया (Abaya) (बुर्का) पर सरकारी बैन को बरकरार रखने का फैसला लिया. फ्रांस की कोर्ट ने उन शिकायतों को खारिज कर दिया, जो भेदभावपूर्ण थीं और नफरत भड़का सकती थीं.


फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सरकार ने पिछले महीने घोषणा की थी कि वह स्कूलों में अबाया पर बैन लगा रही है क्योंकि इसने शिक्षा में धर्मनिरपेक्षता के नियमों को तोड़ा है. मुस्लिम हेडस्कार्फ पर पहले ही इस आधार पर बैन लगा दिया गया है कि वे धार्मिक संबद्धता का प्रदर्शन करते हैं.
 
अदालत ने खारिज किया प्रस्ताव 
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संघ एक्शन फॉर राइट्स ऑफ मुस्लिम्स (ADM) ने राज्य अधिकारियों के खिलाफ अबाया और क़मीस पर लगे बैन को लेकर फ्रांस की सर्वोच्च अदालत में एक प्रस्ताव दायर किया था. एसोसिएशन ने दलील दी थी कि अबाया पर लगाया गया बैन भेदभावपूर्ण है और इससे मुसलमानों के खिलाफ नफरत भड़क सकती है और साथ ही नस्लीय भेदभाव भी हो सकता है.


हालांकि, एक्शन फॉर राइट्स ऑफ मुस्लिम्स (ADM) की तरफ से दायर प्रस्ताव की दो दिनों तक जांच करने के बाद स्टेट काउंसिल ने एसोसिएशन के तरफ से दिए गए तर्कों को खारिज कर दिया.


फ्रांस की कोर्ट ने बैन बरकरार रखा
फ्रांस की कोर्ट ने बैन बरकरार रखते हुए कहा कि अबाया पहनना धार्मिक पुष्टि के तर्क का पालन करता है. अबाया पर लगाया गया बैन फ्रांसीसी कानून पर आधारित था, जो किसी को भी स्कूलों में किसी भी धार्मिक संबद्धता से जुड़े हुए वस्त्र को पहनने की अनुमति नहीं देता है. इस फैसले से कोई गंभीर नुकसान भी नहीं होंगे.


इसके अलावा कोर्ट ने ये भी कहा कि सरकार की तरफ से लगाए गए बैन प्रतिबंध से व्यक्तिगत जीवन के सम्मान, धर्म की स्वतंत्रता, शिक्षा का अधिकार, बच्चों की भलाई या गैर-भेदभाव के सिद्धांत को गंभीर या स्पष्ट रूप से अवैध नुकसान नहीं पहुंचा है.
 
काउंसिल ऑफ द मुस्लिम फेथ ने दी भेदभाव की चेतावनी
आपको बता दें कि कोर्ट के फैसले से पहले सरकार के समक्ष मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने के लिए स्थापित फ्रांस की काउंसिल ऑफ द मुस्लिम फेथ (CFCM) ने चेतावनी दी थी कि अबाया पर बैन लगाने से भेदभाव का खतरा बढ़ सकता है. इसके लिए वो स्टेट काउंसिल के सामने अपनी शिकायत रखने पर विचार कर रही है.


मुस्लिम पक्ष ने कहा कि इस परिधान की स्पष्ट परिभाषा का अभाव अस्पष्टता और कानूनी अनिश्चितता पैदा करता है. वहीं उनके वकील विंसेंट ब्रेंगार्थ ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि अबाया को एक पारंपरिक परिधान माना जाना चाहिए न कि धार्मिक. उन्होंने सरकार के खिलाफ बैन से राजनीतिक लाभ लेने का भी आरोप लगाया. 


फ्रांस के शिक्षा मंत्रालय का बयान
फ्रांस के शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि अबाया पहनने वाला व्यक्ति मुस्लिम धर्म से संबंधित होने का प्रमाण देता है, इसलिए यह फ्रांस की धर्मनिरपेक्ष संस्कृति के विपरीत है. फ्रांसीसी स्कूलों ने सोमवार (4 सितंबर) को दर्जनों लड़कियों को अबाया (बुर्का) उतारने से इनकार करने पर घर भेज दिया था.


शिक्षा मंत्री गेब्रियल अटाल ने कहा कि लगभग 300 स्कूली छात्राओं ने बैन का उल्लंघन किया. उन्होंने कहा कि अधिकांश लोग कपड़े बदलने के लिए सहमत हो गए लेकिन 67 छात्राओं ने इनकार कर दिया और उन्हें घर भेज दिया गया.


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