Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान में तालिबान की जीत के बाद कई परिवार बदहाली का जीवन बिताने को मजबूर हो गए हैं. वहीं तालिबान शासन की सत्ता में वापसी के साथ ही अफगानिस्तान में विदेशी सहायता की रोक के कारण अर्थव्यवस्था को संकट में डाल दिया है, जिसके कारण कई परिवार और लाखों लोगों को भूखमरी का सामना करना पड़ रहा है.


अफगानिस्तान में तालिबान शासन से पहले लंबे समय तक स्कूलों में शिक्षिका रही 43 वर्षीय अहमदी अब जूते पॉलिश करने को मजबूर हैं. उनका कहना है कि तालिबान की वापसी के साथ ही महिलाओं के अधिकार और कार्यक्षेत्र को सीमित कर दिया गया है. जिसके कारण उनकी जॉब छूट गई हैं. वहीं परिवार के भरण पोषण के लिए उन्हें जूते पॉलिश करने की ओर रुख किया है.


पांच बच्चों की मां अहमदी का कहना है कि उन्होंने एक दशक से भी लंबे समय तक अफगानिस्तान में टीचिंग का काम किया है, उनके पति एक निजी कंपनी में कुक का काम करते थे. वहीं तालिबान के शासन में आते ही उनकी पूरी जिंदगी बदल गई.


अहमदी का कहना है कि 'हम अभी भूख में दिन बिता रहे हैं, और फिलहाल, हमारे परिवार में कोई भी ऐसा नहीं है जो हम सभी का आर्थिक रूप से समर्थन कर सके.' उनका कहना है कि '1996-2001 के बीच तालिबान ने मुख्य रूप से महिलाओं को घर से बाहर काम करने की अनुमति नहीं दी थी और अब महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों को गंभीर रूप से सीमित कर दिया है, ऐसे में उनके पास कोई विकल्प नहीं है.'


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