कोविड-19 महामारी के प्रकोप ने दुनिया के आधे युवाओं को प्रभावित किया है. युवाओं की आधी जनसंख्या अवसाद, चिंता का शिकार है जबकि एक-तिहाई से ज्यादा युवा भविष्य में अपने करियर को लेकर अनिश्चित हैं. महामारी के दुष्प्रभाव का दावा अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के एक सर्वेक्षण में किया गया है.


दुनिया के आधे युवाओं पर कोविड कोविड का प्रभाव


ILO की तरफ से ‘युवा और कोविड-19: नौकरियों, शिक्षा, अधिकारों और मानसिक कल्याण पर प्रभाव’ नामक सर्वेक्षण रिपोर्ट मंगलावर को जारी की गई. रिपोर्ट में ये बात सामने आई कि अगर फौरी कदम नहीं उठाए गए तो युवाओं पर महामारी का गंभीर और लंबे समय तक प्रतिकूल प्रभावों का खतरा रहेगा. रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘कोविड-19 महामारी ने जीवन के हर पहलू को बाधित किया है. संकट की शुरुआत से पहले भी युवाओं के सामाजिक और आर्थिक एकीकरण को लेकर चुनौती थी और अब अगर फौरी कार्रवाई नहीं की गई तो उन्हें गंभीर रूप से पीड़ित होने की आशंका है. जिसका असर लंबे समय तक रहेगा.’’


ILO के सर्वेक्षण रिपोर्ट में सामने आया दुष्प्रभाव


ILO के सर्वेक्षण में 18 से 29 वर्ष उम्र वाले लोगों पर महामारी के कारण रोजगार, शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य, अधिकारों और सामाजिक सक्रियता से संबंधित असर का पता लगाया गया. सर्वेक्षण में 112 देशों के 12 हजार से ज्यादा लोगों की प्रतिक्रियाएं ली गईं. जिसमें बड़ा हिस्सा इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले शिक्षित युवाओं का रहा. अनुमान जताया गया है कि दुनिया भर में दो में एक (यानी 50 प्रतिशत) युवा चिंता या अवसाद का शिकार हैं जबकि उनमें से 17 प्रतिशत शायद काफी अधिक प्रभावित हैं. महामारी ने सीखने और काम करने को लेकर गंभीर रुकावट पैदा की है जिससे युवाओं की मानसिक स्थिति कमजोर हुई है. सर्वेक्षण में 18 से 24 वर्ष की आयु वाले युवाओं की मानसिक स्थिति को सबसे अधिक दबाव में बताया गया है.


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