COP 28 CCTV Camera: संयुक्त राष्ट्र संघ की जलवायु शिखर सम्मेलन (COP28) में लगे निगरानी कैमरे को लेकर कई देशों ने चिंता जाहिर की है. इसकी वजह यूएई की एक कंपनी है जिसके कैमरे शिखर सम्मेलन में चारों ओर लगे हुए हैं.इस कंपनी पर स्पाईवेयर नाम के एक जासूसी ऐप से संबंध होने को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. 


शिखर सम्मेलन में निगरानी कैमरों को लेकर मानवाधिकार निगरानी संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिसर्चर ने कहा, "हमने इस तथ्य को कबूल कर लिया है कि हमें सम्मेलन में कोई देख-सुन रहा है. इसलिए COP 28 में किसी तरह की निजी बातचीत संभव नहीं है."


दुबई में कंपनी ने लगाए 12 हजार कैमरे 


समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, शिखर सम्मेलन में जो कैमरे लगाए गए हैं वह प्रीसाइट नाम की एक कंपनी की ओर से लगाए गए हैं. प्रीसाइट कंपनी अबू धाबी की एक फर्म जी-43 के लिए काम करती है. तकरीबन 12 हजार कैमरे दुबई के 4.5 वर्गमीटर में लगाए गए हैं. इसमें दुबई का चर्चित दुबई एक्सपो सेंटर भी शामिल है. कंपनी के दस्तावेजों से पता चलता है कि प्रीसाइट ने हाल ही में अबू धाबी के शेयर बाजार आईपीओ लॉन्च किया था.


कंपनी पर लगे थे आरोप


प्रीसाइट पर आरोप लगे थे कि वह चीनी सरकार के लिए खुफिया फुटेज मुहैया कराती है. कंपनी की सॉप्टवेयर उन्नत दर्ज की है, इसमें ऐसे सॉप्टवेयर लगे हैं जो व्यक्ति को पहचान कर उसकी गतिविधियों की गहनता से ऑब्जर्व करता है. संयुक्त अरब अमीरात में अमेरिका के लगभग 3,500 सैनिक मौजूद हैं और लंबे समय से देश की सुरक्षा गारंटर तौर पर काम करते हैं. अमेरिका ने चीन के साथ यूएई के संबंधों के बारे में भी अपनी चिंताओं को लेकर मुखर हो गया है.


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